लखनऊ. योगी सरकार (Yogi Sarkar) में कैबिनेट मंत्री रहे पुराने बसपाई स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने भाजपा भी छोड़ दी है. उनके सपा में जाने की चर्चा है, लेकिन अभी ऐलान नहीं हुआ है. सपा में जाने या सपा के साथ जाने को लेकर कई ऐसे सवाल हैं जिनसे दोनों के बीच के सियासी रिश्ते को लेकर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. इन सवालों के जवाब देना न सिर्फ स्वामी प्रसाद मौर्य बल्कि अखिलेश यादव के लिए भी बड़ी चुनौती होगा. इतना ही नहीं, कई और राजनेताओं के भी भविष्य पर यह सवाल खड़े हो गए हैं.
1. स्वामी प्रसाद मौर्य को क्या ऑफर करेंगे अखिलेश यादव ? मौर्य समाज के 2 बड़े नेता प्रदेश में हैं, केशव प्रसाद मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य. दोनों ही अब तक भाजपा में थे, लेकिन स्वामी ने उपेक्षा का आरोप लगाकर भाजपा छोड़ दी. भाजपा ने केशव मौर्य को पहले पार्टी अध्यक्ष और फिर डिप्टी सीएम बनाया. अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्या को पार्टी अध्यक्ष तो नहीं बना सकते, लेकिन क्या वे डिप्टी सीएम का पद उन्हें ऑफर करेंगे? स्वामी प्रसाद मौर्य का जातीय गणित चुनाव में तब ज्यादा प्रभावी ढंग से काम कर पाएगा जब उन्हें सपा केशव मौर्य से ज्यादा ऊंचा पद दे या कम से कम उनके बराबर तो जरूर ही दे. आखिर सत्ता में हिस्सेदारी की बात तो बिना इसके तो पूरी हो नहीं सकती. स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और मायावती सरकार में ऊंचे ओहदे पर भी थे.
2. ऐसी चर्चा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे उत्कर्ष मौर्य को रायबरेली की ऊंचाहार सीट से लड़ाने की तैयारी में हैं. ऊंचाहार सीट से लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर मनोज पांडे विधायक चुने गए हैं. वह अखिलेश सरकार में मंत्री भी थे. ऐसे में अभी तो यह नहीं दिखाई दे रहा कि मनोज पांडे का टिकट समाजवादी पार्टी काट देगी. ब्राह्मणों को लुभाने में लगे अखिलेश यादव उनसे इतनी बड़ी नाराजगी मोल लेने की स्थिति में नहीं हैं. तो फिर स्वामी प्रसाद मौर्य का अपने बेटे के लिए और अखिलेश यादव का मनोज पांडेय के लिए क्या ऑप्शन बचता है. चर्चा ये भी है कि स्वामी प्रसाद मौर्य खुद ऊंचाहार से लड़ सकते हैं और अपने बेटे उत्कर्ष मौर्य को अपनी पडरौना सीट से लड़ा सकते हैं. ऐसी सूरत में मनोज पांडे के पास दो विकल्प बचेंगे. या तो वो सीट बदलें या पार्टी. फिलहाल वो मजबूती से अखिलेश यादव के साथ हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य प्रतापगढ़ के जेठवारा के रहने वाले हैं जिसकी सीमा ऊंचाहार सीट से लगती है. मनोज पांडे मूल रूप से सुल्तानपुर के रहने वाले हैं.
3. स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के अब भाजपा छोड़ देने से संघमित्रा मौर्य की स्थिति बीजेपी में असहज तो हो ही जाएगी. वैसे तो यह पुराना रिवाज है कि एक ही परिवार के 2 लोग अलग-अलग पार्टियों में आराम से रहते रहे हैं, लेकिन क्या स्वामी प्रसाद मौर्य और संघमित्रा मौर्य के लिए ये इतना आसान हो पाएगा. ऐसा रिवाज उन परिवारों में फलता फूलता रहा है जिनकी लंबी राजनीतिक विरासत रही हो. स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
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