UP Assembly Elections 2022 hardoi sadar seat agrawal family winning this seat since last 40 years upat

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Naresh agarwal controversial statement yogi sarkar ka ration khao becho or mood banao nodelsp - नरेश अग्रवाल बोले



हरदोई. हरदोई सदर सीट (Hardoi Sadar Assembly Seat) का हर नए परिसीमन के साथ नक्शा बदलता रहा, पर पिछले चालीस वर्षों से इसका निजाम नहीं बदला. सीमाओं में कई बार परिवर्तन हुआ. कुछ हिस्सा छूटा, कुछ नया जुड़ा. पुराने मतदाता कम हुए, नए जुड़े… लेकिन, अग्रवाल परिवार के सदस्यों का इसपर कब्जा बरकरार रहा. ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं पासी बाहुल इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. अनुसूचित जाति में जाटव, धोबी, पिछड़ी जातियों में पाल, कुशवाहा, कश्यप भी जातीय समीकरणों में बेहद अहम हैं. खास बात यह है कि अभी तक यहां कोई जाति एवं धर्म का विशेष प्रभाव चुनाव में नहीं दिखा.
सभी जातियों पर अपना असर रखने वाले अग्रवाल परिवार का सियासी सफर 1974 से शुरू हुआ, तब बाबू स्व. श्रीशचंद्र अग्रवाल पहली बार इस सीट से जीतकर विधायक बने थे. वर्ष 1980 में नरेश अग्रवाल ने पिता की सियासी विरासत संभाली और इस सीट से विधानसभा चुनाव का चुनाव जीता. 1985 में कांग्रेस ने नरेश अग्रवाल की जगह उमा त्रिपाठी को टिकट दिया और वह जीत गईं. वर्ष 1989 में नरेश अग्रवाल ने कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1991 में नरेश फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1993 में कांग्रेस से नरेश अग्रवाल चुनाव जीते.
बसपा जातीय समीकरणों के जरिये कर सकती है ‘खेल’1996 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हीं के सिर जीत का सेहरा सजा. 2002 और 2007 में नरेश अग्रवाल सपा से चुनाव जीते और 2008 में राज्यसभा सदस्य के चुनाव में दावेदारी के चलते उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया. इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर उनके पुत्र नितिन अग्रवाल ने 2008 के उपचुनाव में जीत दर्ज की. 2012 और 2017 के चुनाव में सपा से चुनाव लड़कर नितिन ने जीत दर्ज की. सपा सरकार के दौरान उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी मिला. इस बार इस सीट से उनके प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी अनिल वर्मा दो बार विधायक रह चुके हैं. बसपा ने शोभित पाठक सनी को मैदान में उतारा है. सनी पाठक की पृष्ठभूमि मजबूत सियासी परिवार से है, लेकिन वह खुद कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं. ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 49 हजार हैं. दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में बसपा जातीय समीकरणों के जरिये यहां खेल कर सकती है. कांग्रेस प्रत्याशी आशीष सिंह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. वह कई वर्षों तक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं.
सांडी और गोपामऊ पर भी रहता है सदर का प्रभावसदर से सांडी एवं गोपामऊ सीटें जुड़ी हुई हैं. इन सीटों पर भी सदर में चलने वाली हवा का प्रभाव रहता है. कभी हरदोई सदर सीट का हिस्सा रहा सुरसा अब सांडी सीट में शामिल है. इस क्षेत्र में भी अग्रवाल परिवार की खासी पैठ मानी जाती है. ऐसे ही सदर सीट के कई इलाके परिसीमन के बाद गोपामऊ सीट में भी शामिल हुए हैं.
कुल मतदाता: 4,13,1332,20,645 पुरुष   1,92,464 महिलाअनुसूचित जातियां: 1.49 लाखसवर्ण: 1.45 लाखपिछड़े: 73 हजारमुस्लिम: 34 हजार
2017 का चुनाव परिणामनितिन अग्रवाल, सपा: 97,735राजा बख्श सिंह, भाजपा: 92,626धर्मवीर सिंह बसपा: 30,628

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