गोरखपुर. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने गोरखपुर (Gorakhpur) में बीजेपी (BJP) के परिवार में सेंध लगाते हुए स्वर्गीय उपेन्द्र दत्त शुक्ला (Late Upendra Dutt Shukla) के परिवार के लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला, उनके पुत्र अरविंद दत्त शुक्ला और अमित शुक्ला ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मौजूदगी में सपा का दामन थाम लिया. अब ये कयास लगाये जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी शुभावती शुक्ला को गोरखपुर सदर (Gorakhpur Sadar Assembly Seat) से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार सकती है.
बता दें योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर लोकसभा सीट पर सीएम ने उपेन्द्र दत्त शुक्ला को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया था और उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर वह मैदान में थे. पर वो चुनाव जीत नहीं पाये थे. 2018 के उपचुनाव में वो सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद से चुनाव हार गये थे. संगठन को चुस्त-दुरुस्त बनाने में माहिर रहे उपेन्द्र दत्त शुक्ला कभी भी चुनाव नहीं जीत पाये थे. वह कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से भी तीन बार चुनाव लड़े थे, लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद बीजेपी ने उन्हे प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया था.
कौन हैं उपेंद्र शुक्ल?उपेन्द्र शुक्ला 2013 से लेकर 2018 तक बीजेपी के गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे थे. 2007 में वो गोरखपुर बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी थे. वह संघ और बीजेपी के पुराने कैडर के कार्यकर्ता थे. जनसंघ के जमाने से वह बीजेपी से जुड़े थे. छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद की राजनीति की में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था. 2018 के उपचुनाव में जब उपेन्द्र दत्त शुक्ल को सफलता नहीं मिली तो 2019 के लोकसभा चुनव में पार्टी ने उनकी जगह फिल्म स्टार रविकिशन को अपना उम्मीदवार बना दिया. उपेन्द्र शुक्ला के दुखी होने की चर्चा चल ही रही थी कि प्रत्याशी घोषित होने के बाद पहली बार रविकिशन गोरखपुर पहुंचे तो रास्ते में अपना काफिला रुकवाकर सीधे उपेन्द्र दत्त शुक्ल के घर पहुंच गए. जिसके बाद उपेन्द्र दत्त शुक्ल ने उन्हे गले लगा लिया और उनके साथ जुलूस में शामिल हो गये. और फिर पूरी ताकत से रविकिशन का चुनाव प्रचार कर उन्हे सांसद बनवाया.
योगी को जीवन संरक्षक था बताया2018 का जब उपचुनाव चल रहा था उसी दौरान वो बीमार हो गये. जिसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी ने उन्हे पीजीआई में भर्ती कराया. एक ऑपरेशन के बाद 4 मार्च को वह डिस्चार्ज हुए. चुनाव अभियान में लौटने के बाद जनसभाओं में मंच पर अक्सर वो भावुक हो जाते थे. वह कहते थे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ अब तक मेरे राजनीतिक संरक्षक थे, लेकिन अब वो मेरे जीवन के भी संरक्षक बन गये हैं.
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