tuberculosis prevalence in India government data shows 25 lakh cases in last year Uttar Pradesh is on top | Tuberculosis Causes: टीबी की बीमारी ने तोड़ा दशकों का रिकॉर्ड, पिछले साल मिले 25 लाख मरीज; यूपी सबसे आगे

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tuberculosis prevalence in India government data shows 25 lakh cases in last year Uttar Pradesh is on top | Tuberculosis Causes: टीबी की बीमारी ने तोड़ा दशकों का रिकॉर्ड, पिछले साल मिले 25 लाख मरीज; यूपी सबसे आगे



ट्यूबरक्लोसिस जिसे टीबी भी कहा जाता है, फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक जानलेवा बीमारी है. यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक संक्रामक बैक्टीरिया से होता है, जो खांसने-छींकने से एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से पहुंच सकता है.
गवर्नमेंट डाटा के अनुसार, 2023 के वर्ष में भारत में इस इंफेक्शन के मामलों ने पिछले दस सालों रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जो कि 60 के दशक में शुरू हुए टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के बाद सबसे अधिक है. इसमें सबसे ज्यादा 21 प्रतिशत मरीज उत्तर प्रदेश और 15 प्रतिशत मरीज बिहार के हैं. बता दें, 2025 तक केंद्र सरकार ने पूरी तरह से टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.टीबी दुनिया के टॉप किलर इंफेक्शन में शामिल
WHO के अनुसार, तपेदिक (टीबी) दुनिया का टॉप किलर इंफेक्शन है. हर दिन इस बीमारी से लगभग 4500 लोगों की जान जाती है. वहीं लगभग 30.000 लोग हर दिन इस बीमारी के चपेट में आते हैं. 
इन देशों में हैं सबसे ज्यादा टीबी के मरीज
टीबी से पीड़ित कुल आबादी का 50 प्रतिशत सिर्फ इन 8 देशों में पाए जाते हैं- बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका.
टीबी होने पर दिखते हैं ये लक्षण
3 सप्ताह से अधिक खांसी छाती में दर्दखांसी के साथ खून आनाहर समय थकान महसूस होनारात में पसीना निकलनाठंड लगनाबुखारभूख में कमीवजन घटना
इस तरह से फैलती है टीबी की बीमारी
सिर्फ एयर के जरिए टीबी का इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे में पहुंच सकता है. क्योंकि टीबी के बैक्टीरिया सतह पर पर सर्वाइव नहीं कर पाते हैं इसलिए इस बीमारी का जोखिम किसी चीज को छूने या मरीज से हाथ मिलाने और गले मिलने से नहीं फैलता है.
क्या टीबी का इलाज संभव है
टीबी एक गंभीर बीमारी है लेकिन इसे सही और वक्त पर इलाज के साथ ठीक किया जा सकता है. सक्रिय टीबी सबसे आम उपचार के लिए तीन दवाओं-रिफाम्पिन, पायराज़ीनामाईड और एथाम्बुटोल के साथ में आइसोनियाज़िड आईएनएच को शामिल किया जाता है.
टीबी के रिस्क फैक्टर
कुछ ज्ञात जोखिम कारक जो टीबी की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं, उनमें ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV),धूम्रपान, कुपोषण, मधुमेह मेलिटस, किडनी डिजीज, ऑर्गन ट्रांसप्लांट, वायु प्रदूषण, शराब का सेवन शामिल है.



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