Traffic air pollution harms lungs and liver both claim latest research | फेफड़े तो पहले ही बर्बाद थे, अब लिवर की भी शामत! गाड़ियों का धुंआ बना सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन

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Traffic air pollution harms lungs and liver both claim latest research | फेफड़े तो पहले ही बर्बाद थे, अब लिवर की भी शामत! गाड़ियों का धुंआ बना सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन



वायु प्रदूषण को लेकर लगातार चेतावनियां दी जाती रही हैं, लेकिन ताजा शोध में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. अब तक माना जाता था कि गाड़ियों के धुएं और प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है, लेकिन अब विशेषज्ञों का कहना है कि इसका गंभीर असर लिवर पर भी पड़ रहा है. रिसर्च में पाया गया कि मात्र 10 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 कण लिवर की सेहत पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकते हैं.
फैटी लिवर (जिसे हेपेटिक स्टेटोसिस भी कहा जाता है) दुनियाभर में एक आम समस्या बन गई है. यह तब होता है, जब लिवर के सेल्स में बहुत ज्यादा फैट जमा हो जाते है. पहले के शोध बताते हैं कि खराब खान-पान, व्यायाम की कमी और शराब के ज्यादा सेवन से यह समस्या होती है. लेकिन अब नए शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के प्रोफेसर हुई चेन के अनुसार, लोग वायु प्रदूषण को केवल फेफड़ों के लिए हानिकारक मानते हैं, लेकिन इसका असर लिवर पर भी पड़ता है. जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो बहुत छोटे पीएम 2.5 कण हमारे फेफड़ों से होते हुए खून में पहुंच जाते हैं. चूंकि लिवर का काम खून को साफ करना होता है, इसलिए यह इन जहरीले तत्वों को जमा कर लेता है. इनमें आर्सेनिक, लीड, निकल और जिंक जैसी भारी धातुएं शामिल होती हैं.
कैसे हुआ अध्ययनइस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चूहों को प्रतिदिन 10 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 कणों के संपर्क में रखा और 4, 8 और 12 सप्ताह के बाद उनके लिवर में बदलाव को देखा. पहले 4 से 8 हफ्ते तक कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा, लेकिन 12 हफ्ते बाद लिवर के काम करने की प्रणाली में गड़बड़ी शुरू हो गई. शोधकर्ताओं ने पाया कि लिवर में 64 कार्यात्मक प्रोटीन प्रभावित हुए, जिनमें से कई फैटी लिवर और इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से जुड़े थे. वायु प्रदूषण के कारण लिवर में ज्यादा इम्यून सेल्स जमा हो गईं, जिससे सूजन बढ़ी और ज्यादा स्कार टिशू बनने लगे. इसके अलावा, लिवर में ट्राइग्लिसराइड्स, डायसिलग्लिसरोल्स और सेरामाइड्स जैसे हानिकारक फैट की मात्रा भी बढ़ गई, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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