पीने का पानी, खाने वाली सब्जियां और यहां तक कि चॉकलेट भी महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि खाने-पीने में पाए जाने वाले जहरी धातुओं के छोटे-छोटे अंश भी महिलाओं के अंडाशय (ovaries) में मौजूद अंडों की संख्या को तेजी से कम कर सकते हैं, जिससे उन्हें कम उम्र में ही मेनोपॉज होने का खतरा बढ़ जाता है.
अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ये चिंताजनक जानकारी दी है. शोध के मुताबिक, लीड, आर्सेनिक, कैडमियम और मरकरी जैसे धातु अब नल के पानी, कई फूड, सब्जियों, मछली और यहां तक कि चॉकलेट में भी पाए जा रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन महिलाओं के शरीर में इन जहरीले धातुओं का लेवल ज्यादा होता है, उनमें जल्दी मेनोपॉज होने का खतरा ज्यादा होता है. अध्ययनइस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 549 महिलाओं पर रिसर्च किया, जो मेनोपॉज से गुजर रही थीं. इन महिलाओं के शरीर में क्रमशः 0.3μg/L आर्सेनिक, 0.06μg/L कैडमियम, 0.05μg/L मरकरी और 0.1μg/L लीड पाया गया. शोधकर्ताओं ने एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) के लेवल को भी मापा, जो डॉक्टरों को यह बताता है कि एक महिला के अंडाशय में कितने अंडे बचे हैं. AMH को अंडाशय की ‘बायोलॉजिकल क्लॉक’ भी कहा जाता है और इसके निम्न स्तर मध्य और बाद के जीवन में स्वास्थ्य जोखिमों का संकेत दे सकते हैं.
अध्ययन का परिणामअध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं के यूरीन में धातुओं का लेवल अधिक था, उनमें AMH का लेवल कम होने की संभावना अधिक थी. आर्सेनिक और पारा के हाई लेवल के साथ AMH का लेवल सबसे कम पाया गया. आर्सेनिक के लिए, AMH का लेवल उन महिलाओं की तुलना में 32.1% कम था, जिनके यूरीन में धातु का लेवल कम था. मरकरी के लिए यह 40.7% कम था.
क्या कहते हैं शोधकर्ता?शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारे रिजल्ट बताते हैं कि ये भारी धातु महिलाओं के अंडाशय को नुकसान पहुंचा सकते हैं, खासकर मेनोपॉज के दौरान. वो आगे कहते हैं कि हमें ऐसे कैमिकल के प्रभाव को पूरी तरह से समझने के लिए युवा पीढ़ी पर भी शोध करने की जरूरत है.
क्या हो सकती हैं दिक्कतें?ध्या दें, ये जहरीले धातु पहले से ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हुए हैं, जिनमें बांझपन, एंडोमेट्रियोसिस, कम उम्र में प्यूबर्टी, कुछ कैंसर, डायबिटीज और मोटापा शामिल है. इन्हें डार्क चॉकलेट, हरी पत्तेदार सब्जियों और बेबी फूड में भी पाया जाता है.