Thyroid in Children: थायराइड की समस्या केवल बड़ों को ही नहीं परेशान करती है. वैसे तो थायराइड की बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह बीमारी अब बच्चों में भी देखी जा सकती हैं. यह जेनेटिक भी हो सकती है, यदि प्रेगनेंसी के समय मां कम आयोडीन का सेवन करे, तो भी बच्चा थायराइड से ग्रसित हो सकता है. असल में, थायराइड हार्मोन हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी होता है, लेकिन इसका कम या अधिक होना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. आइये जानें बच्चों में किस तरह थायराइड की बीमारी पनपती है.
शरीर में थायराइड हार्मोन के अधिक होने से हाइपोथाइरॉएडिज्म होने से हाइपर थाइरॉएडिज्म की समस्या होती है. प्रीमेच्योर बच्चेदानी यानी बच्चे जो समय से पहले जन्म लेते हैं, उनमें थायराइड होने की संभावना बढ़ जाती है. फास्ट फूड, कैफे फूड और चीनी आदि का अधिक मात्रा में सेवन करने से बच्चों में थायराइड की परेशानियों को बढ़ा सकता है. कई बार बच्चों में थायराइड की वजह से बेचैनी और बार-बार नींद खुलने जैसी समस्या होने लगती है. ऐसे में बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान दें. साथ ही बच्चों में थायराइड के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जानकारी होनी जरूरी है.
जानें क्या है थायराइड-आपको बता दें, हमारे गले में तितली के आकार की एक ग्रंथि मौजूद होती है, जिसे थायराइड ग्लैंड के नाम से जाना जाता है. ये हमारी बॉडी में T3 और T4 हार्मोंस का निर्माण करती है. हमारे शरीर में होने वाली कई तरीके की गतिविधियों को यह हार्मोंस कंट्रोल करने में मदद करते हैं. जिसमें मेटाबॉलिज्म को बनाए रखना, मूड फ्रेश करना, शरीर के टेंपरेचर को नियंत्रित करना इत्यादि. जब यह हार्मोंस असंतुलित होने लगते हैं, तो हमारे शरीर में सभी एक्टिविटी पर असर पड़ता है.
क्या है इलाज-थायराइड दो प्रकार के होते हैं. हाइपोथाइरॉएडिज्म और हाइपरथाइरॉएडिज्म. जब शरीर में हार्मोंस की अधिक कमी हो जाती है, तब यह समस्या होती है. हाइपोथाइरॉएडिज्म के इलाज के लिए हार्मोंस रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं हाइपरथाइरॉएडिज्म का इलाज ये है कि शरीर में हार्मोंस की अधिकता के कारण यह परिस्थिति पैदा हो जाती है. कुछ दवाइयां देकर इन हार्मोंस को कंट्रोल किया जाता है. इसका इलाज थायराइड सर्जरी के द्वारा भी किया जाता है.
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