भोजन के बीच ज्यादा अंतराल यानी इंटरमिटेंट फास्टिंग शरीर और दिमाग के 22 जीन को प्रभावित करता है. यह हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल की बीमारी के इलाज में कारगर है. अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है, जो सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
भोजन के बीच ज्यादा अंतराल आज कल चर्चा का विषय बना हुआ है और इसको लेकर कई अध्ययन किए जा चुके हैं. हालांकि, यह शरीर के किन फैक्टर्स को और कैसे प्रभावित करता है, इसे अच्छी तरह से नहीं समझा जा सका था. इसे देखते हुए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चूहों पर अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि इस प्रक्रिया के माध्यम से जीन सक्रिय होते हैं और प्रोटीन बनाते हैं, जो रोगों के खिलाफ प्रतिक्रिया करते हैं.अध्ययनअध्ययन के लिए चूहों के दो ग्रुप को समान हाई कैलोरी वाला आहार दिया गया. एक समूह को हर समय भोजन खाने की सुविधा दी गई. वहीं, दूसरे समूह को प्रत्येक दिन नौ घंटे की फीडिंग विंडो के भीतर खाने तक सीमित रखा गया था. सात हफ्तों के बाद 22 अंगों और दिमाग से टिशू के नमूने एकत्र किए गए. इसमें आनुवंशिक परिवर्तनों के लिए विश्लेषण किया गया. नमूनों में लिवर, पेट, फेफड़े, दिल, एड्रेनल ग्लैंड, हाइपोथैलेमस, किडनी और आंत के विभिन्न भागों व दिमाग के विभिन्न क्षेत्रों के टिशू शामिल थे. समय-प्रतिबंधित खाना खाने वाले 70 फीसदी चूहों के जीन में बदलाव देखा गया. अग्नाशय में लगभग 40 प्रतिशत जीन समय-प्रतिबंधित भोजन से प्रभावित थे. ये अंग हार्मोनल विनियमन के लिए महत्वपूर्ण हैं.
अध्ययन का परिणामहार्मोन शरीर और मस्तिष्क के विभिन्न भागों में समन्वय का काम करते हैं और हार्मोनल असंतुलन डायबिटीज से लेकर तनाव संबंधी समस्याओं तक के लिए जिम्मेदार है. वहीं, इससे पाचन तंत्र के सभी हिस्से समान रूप से प्रभावित नहीं हुए थे. जबकि छोटी आंत के ऊपरी दो हिस्सों में शामिल जीन डुओडेनम और जेजुनम भोजन के बीच ज्यादा अंतराल से सक्रिय होते हैं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?इंटरमिटेंट फास्टिंग वर्तमान में दुनिया में स्वास्थ्य और फिटनेस में सबसे आम घटनाओं में से एक है. लोग इसका उपयोग वजन कम करने, अपनी सेहत में सुधार करने के लिए करते हैं. यह एक खाने का पैटर्न है जिसमें आप खाने और उपवास की अवधि के बीच का अंतर तय करते हैं. इसके कई तरीके हैं, जिनमें से सभी दिन या सप्ताह में भोजन व उपवास की अवधि में विभाजित करते हैं.