अब तक गठिया यानी आर्थराइटिस को एक उम्रदराज लोगों में होने वाली जोड़ों की बीमारी के रूप में जाना जाता था. लेकिन आजकल 20 से 30 की उम्र के युवा भी जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न की शिकायत लेकर डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की रिपोर्ट बताती है कि 65 साल से कम उम्र के हर तीन में से एक व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार का गठिया है. भारत में भी यह चलन तेजी से बढ़ रहा है. रीजेन ऑर्थोस्पोर्ट के संस्थापक और रीजेनरेटिव ऑर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट डॉ. वेंकटेश मोव्वा ने मीडिया संस्थान से बात करते हुए बताया कि अब वह ऐसे मरीजों का इलाज कर रहे हैं जो 20 की उम्र में ही आर्थराइटिस के लक्षणों का सामना कर रहे हैं.
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कम उम्र में गठिया होने का कारण?
डॉ. मोव्वा के अनुसार कई जीवनशैली और आनुवंशिक कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं. कम उम्र में गठिया होने का एक सबसे बड़ा कारण मोटापा है. जब वजन बढ़ता है, तो घुटनों और कूल्हों जैसे जोड़ों पर दबाव भी बढ़ता है. इसके अलावा, घंटों बैठकर काम करने की आदत, स्क्रीन टाइम का ज्यादा होना, और शारीरिक गतिविधियों की कमी से भी मांसपेशियों में असंतुलन और अकड़न बढ़ती है. साथ ही चोट लगने के बाद सही इलाज न करवाना जैसे पुराने मोच या लिगामेंट की समस्या भी बाद में जोड़ों की खराबी का कारण बन सकती है. वहीं, रूमेटाइड या सोरियाटिक गठिया जैसे ऑटोइम्यून रोग, परिवार में गठिया का इतिहास, धूम्रपान, पोषण की कमी और तनाव भी इस रोग को बढ़ा सकते हैं.
ये 5 संकेत बताते हैं डॉक्टर से जांच है जरूरी
– सुबह उठते ही अकड़न: अगर सुबह उठने के 30 मिनट बाद तक जोड़ों में जकड़न बनी रहती है, तो यह साधारण नहीं है.- लगातार सूजन या गर्माहट: यदि जोड़ों पर सूजन आ जाती है या वे स्पर्श करने पर गर्म लगते हैं, तो यह सूजन का संकेत हो सकता है.- चलने-फिरने में दर्द: सीढ़ियां चढ़ना या कुछ पकड़ते समय दर्द महसूस होना भी जोड़ों में कमजोरी का संकेत है. – थकान या हल्का बुखार: खासकर ऑटोइम्यून गठिया में थकावट, बुखार या वजन घटना भी साथ हो सकता है. – हिलने-डुलने में दिक्कत: किसी ज्वाइंट को पूरी तरह मोड़ने या सीधा करने में कठिनाई होना, कार्टिलेज डैमेज या सूजन हो सकता है.
अर्थराइटिस का इलाज
अक्सर युवा इन संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन डॉ. मोव्वा कहते हैं कि जल्दी इलाज न करने से बीमारी बढ़ सकती है और इलाज के विकल्प सीमित हो सकते हैं. हालांकि गठिया का कोई ठोस इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन दवाओं, फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में बदलाव से इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)