Jay Shah ICC Chairman: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह एक क्रिकेट प्रशासक के रूप में नई शुरुआत करने के लिए तैयार हैं. उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) का नया चेयरमैन चुना गया है. वह 35 साल की उम्र में आईसीसी के सबसे युवा चेयरमैन होंगे और 1 दिसंबर को अपना पद संभालेंगे. मौजूदा चेयरमैन ग्रेग बार्कले का कार्यकाल 30 नवंबर 2024 को समाप्त हो जाएगा. जय शाह का कार्यकाल 3 साल का होगा और इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. हम आपको 5 मुख्य चुनौतियों के बारे में यहां बता रहे हैं…
1. चैंपियंस ट्रॉफी 2025
जय शाह के लिए पहली और सबसे महत्वपूर्ण चुनौती पाकिस्तान में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का सुचारू संचालन और टूर्नामेंट में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करना है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) चैंपियंस ट्रॉफी का मेजबान है. टूर्नामेंट फरवरी और मार्च 2025 के बीच खेला जाएगा. पाकिस्तान आतंकवाद के खतरे से ग्रस्त है और इसलिए देश में टूर्नामेंट की मेजबानी के आसपास कई सुरक्षा चिंताएं हैं. पाकिस्तान ने 1996 वनडे वर्ल्ड कप के बाद किसी आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं की है. 2009 में दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन सुबह में लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम जाने के रास्ते में श्रीलंकाई क्रिकेटरों की टीम बस पर एक घातक आतंकी हमला किया था. हमले में महेला जयवर्धने, कुमार संगकारा, अजंथा मेंडिस, थिलान समरवीरा और थरंगा परावितरणा गंभीर रूप से घायल हो गए थे. अब लंबे समय बाद आतंकवाद से ग्रस्त देश में आईसीसी टूर्नामेंट का सही से आयोजन जय शाह की पहली चुनौती है.
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2. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की भागीदारी
भारत ने 2008 के एसीसी एशिया कप के बाद से पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है. दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों में वर्षों से खटास आ गई है. यदि टीम इंडिया को भारत सरकार से पड़ोसी देश की यात्रा करने के लिए हरी झंडी नहीं मिलती है, तो आईसीसी को एक और ऐसा स्थान देखना होगा जो भारत के मैचों की मेजबानी कर सके. इस दौरान बड़ी लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और जय शाह को उन सभी को हराना होगा.
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3. टेस्ट और वनडे क्रिकेट को बचाना
क्रिकेट वेस्टइंडीज (सीडब्ल्यूआई) ने अन्य क्रिकेट बोर्डों के बीच रेवेन्यू के अधिक समान वितरण की मांग उठाई है. सीडब्ल्यूआई के सीईओ जॉनी ग्रेव ने रेवेन्यू-शेयर मॉडल पर सवाल उठाया है और आईसीसी को चेतावनी दी है कि अगर इसे जल्द से जल्द ठीक नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. टेस्ट क्रिकेट पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका जैसे अन्य देशों में अपनी चमक खो रहा है और इसलिए इन देशों में टेस्ट मैचों के दौरान खाली स्टैंड आम हो गए हैं. टेस्ट की तरह वनडे क्रिकेट भी पहले की तरह भीड़ नहीं जुटा पा रहा है. कई खेल एक्सपर्ट ने बाइलैटरल वनडे सीरीज पर चिंता व्यक्त की है. टी20 के आने से पहले दर्शकों के लिए वनडे ही इकलौता वाइट-बॉल फॉर्मेट था. वह अब अपनी चमक खोने लगा है. 2027 में साउथ अफ्रीका, जिम्बाब्वे और नामीबिया की मेजबानी में वनडे वर्ल्ड कप का आयोजन होना है. जय शाह को इस चुनौती के लिए भी तैयार रहना होगा.
4. फ्रेंचाइजी और इंटरनेशनल क्रिकेट के बीच बढ़ते टकराव
जय शाह के लिए चैंपियंस ट्रॉफी के अलावा शायद सबसे अधिक दबाव वाली चिंता टी20 फ्रेंचाइजी लीग और इंटरनेशनल क्रिकेट के बीच सही संतुलन बनाना है. दुनिया भर में टी20 लीगों का प्रसार चिंता का विषय बन चुका है. कई स्टार खिलाड़ी पहले ही अपने संबंधित बोर्डों से सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट अस्वीकार कर चुके हैं ताकि दुनिया भर में फ्रेंचाइजी लीग के अवसरों का फायदा उठा सकें. ट्रेंट बोल्ट, केन विलियम्सन, आंद्रे रसेल और निकोलस पूरन कुछ सुपरस्टार हैं जिन्होंने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट अस्वीकार कर दिए हैं. इसलिए शाह को विचार-मंथन करके एक ऐसी योजना तैयार करने की आवश्यकता है, जिससे फ्रेंचाइजी टूर्नामेंट इंटरनेशनल क्रिकेट को नुकसान पहुंचाए बिना धीरे-धीरे आगे बढ़े.
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5. ओलंपिक में क्रिकेट
जय शाह के सामने एक और महत्वपूर्ण चुनौती ओलंपिक में क्रिकेट को बढ़ावा देना है क्योंकि यह 2028 में लॉस एंजिल्स में खेला जाएगा. उन्होंने ओलंपिक में क्रिकेट को लेकर कहा, ”एलए 2028 में ओलंपिक में हमारे खेल को शामिल करना क्रिकेट के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है और मुझे विश्वास है कि यह खेल को अभूतपूर्व तरीके से आगे बढ़ाएगा.” क्रिकेट का ओलंपिक में शामिल होना एक ऐतिहासिक अवसर है. इससे खेल की वैश्विक पहुंच और लोकप्रियता में काफी वृद्धि होगी. आईसीसी को ओलंपिक समिति के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि क्रिकेट को ओलंपिक कार्यक्रम में शामिल किया जा सके और इसे सफल बनाया जा सके.