बलिया: संवेदना तो तब मर गई जब एक गरीब मरीज के दर्द को समझने के बजाय ठेले पर ही उसको पूरा अस्पताल दौड़ा दिया गया. कारण यह था कि कहीं अगर एंबुलेंस को फोन करते हैं तो एंबुलेंस आने में देर करती इससे अच्छा क्यों न धीरे-धीरे अस्पताल की ओर बढ़ चलें. फिर क्या था परिजन ने अपने मरीज को ठेले पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाया लेकिन, जिसके लिए परिजन ने 7 किलोमीटर की यात्रा ठेले से कि शायद वह उद्देश्य जिला अस्पताल में आते ही टूट कर बिखर गया. जी हां, हम बात कर रहे हैं मरीज नारायण की जिनको गंभीर चोट लग गई थी.मरीज के भाई काशीनाथ में बताया कि वो बलिया जिले के हनुमानगंज स्थित ब्रह्मइन के रहने वाले हैं. उनके मरीज को सोते समय गिरने के कारण चोट लग गई थी जिससे हड्डी टूट गई थी. कच्चे प्लास्टर को कटवाने के साथ चोट लगे हिस्से पर मरहम पट्टी कराना था. मरीज की हालत भी कुछ सही नहीं थी इसलिए काशीनाथ अपने मरीज को ठेले पर ही लेकर अस्पताल पहुंच गया कि जल्द उपचार मिल जाएगा लेकिन, अस्पताल के जिम्मेदारों ने इस गरीब मरीज को पूरा अस्पताल घुमा दिया.परिजन काशीनाथ ने बताया कि अस्पताल में आने के बाद प्लास्टर तो कट गया लेकिन, मरहम पट्टी करवाने के लिए मुझे पूरा अस्पताल घुमाया गया. 12 नंबर में गया तो उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में जाइए. इमरजेंसी में गया तो डॉक्टर साहब ने खदेड़ा. इस तरह कई वार्ड में गया उसके बाद जब लोकल 18 मीडिया के लोगों से मुलाकात हुई तो मेरे भाई का उपचार करने के लिए डॉक्टर तैयार हुए हैं. इससे पहले इन लोगों ने पूरे अस्पताल का भ्रमण करा दिया.क्या बोले इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसरजिला अस्पताल बलिया के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुमित कुमार ने बताया कि अपने मरीज को ये ठेले पर लाए थे. मुझे जानकारी अब मिली है तो मैंने फार्मासिस्ट को भेजा है. कुछ वार्ड बॉय भी गए हैं. मरीज की हालत को देखते हुए उपचार शुरू कर दिया गया है.FIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 20:22 IST