The family donated Sitaram Yechury’s body to AIIMS, what do the doctors do with the dead body | परिवार ने AIIMS को डोनेट की सीताराम येचुरी की बॉडी, आखिर शव का डॉक्टर्स क्या करते हैं?

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The family donated Sitaram Yechury's body to AIIMS, what do the doctors do with the dead body | परिवार ने AIIMS को डोनेट की सीताराम येचुरी की बॉडी, आखिर शव का डॉक्टर्स क्या करते हैं?



What happens when a body is donated: भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रमुख नेता का 12 सितंबर को निधन हो गया. इस खबर से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक छाया हुआ है. 
सीताराम येचुरी की आखिरी इच्छा के अनुसार, परिवार ने उनके शव को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर दिया है. इस कदम से मेडिकल रिसर्च और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने की उनका प्रयास इस दुनिया में नहीं रहने के बाद भी जारी है, जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है. 
परिवार ने डोनेट की पूरी बॉडी 
एम्स दिल्ली के एनाटॉमी विभाग में मीडिया प्रभारी और प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में बताया कि सीताराम येचुरी के परिवार ने उनका पूरा शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर दिया है. देह दान एक बहुत ही नेक काम है. इसके तहत पूरा शरीर दान किया जाता है. जिसका उपयोग मेडिकल छात्रों के अनुसंधान और शिक्षण में किया जाता है.
डेड बॉडी को कैसे किया जाता है स्टडी के लिए स्टोर 
डॉ. ने मेडिकल रिसर्च के लिए डोनेट की गयी बॉडी को प्रिजर्व करने के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सबसे पहले शव को सुरक्षित रखने के लिए उस पर रसायनों का लेप लगाया जाता है. इससे मौत के बाद बॉडी में होने वाले असर की बहुत ही धीमी गति से होते हैं. इस प्रोसेस में एम्बेल्मर धमनियों के माध्यम से रक्त को एम्बाल्मिंग तरल पदार्थ – फॉर्मेल्डिहाइड-आधारित रसायनों – से बदल देता है.
हर साल इस्तेमाल किए जाते हैं 10-12 शव
डॉ. ने मेडिकल रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शव के बारे में बात करते हुए यह बताया कि बॉडी पर किसी भी तरह की सर्जरी की प्रैक्टिस करने से पहले बॉडी को अच्छी तरह है, सीनियर डॉक्टर द्वारा स्टडी किया जाता है. वह बताती हैं कि हम 50-60 टैंक में रखते हैं, और हर साल 10-12 शव को मेडिकल रिसर्च के लिए इस्तेमाल करते हैं.
स्टडी के बाद शव का क्या किया जाता है
डॉक्टर बताती हैं कि रिसर्च और स्टडी के लिए उपयोग किए जाने के बाद, शवों का निगम बोध घाट पर पूरे अनुष्ठान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.
 



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