निर्मल कुमार राजपूत/मथुरा: लगभग सभी मंदिरों में आपने घंटे और घंटियां बंधे हुए देखा होगा और इन्हें लोगों को बजाते हुए भी देखा होगा. एक मंदिर ऐसा भी है जहां घंटा, घंटी और घड़ियाल का प्रयोग नहीं किया जाता है. धर्म नगरी वृन्दावन में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के इस रहस्य के बारे में हम आपको बताएंगे कि आखिर वहां घंटा घंटी क्यों नहीं बजाया जाता और इसकी क्या मान्यता है.ठाकुर की आरती के समय नहीं बजायी जाती घंटीवृन्दावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर रहस्ययों से भरा हुआ है. बांके बिहारी के मंदिर में एक रहस्य कान्हा के जन्म से जुड़ा है. भगवान बांके बिहारी मंदिर में घंटे, घंटी, घड़ियाल ना लगाए जाने के बारे में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत पुजारी शालू गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में ठाकुर बाल रूप में विराजमान हैं. बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी कि सेवा बाल रूप में होती है. लाला को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसलिए मंदिर में घंटा, घंटी, घड़ियाल नहीं लगाए जाते हैं. भगवान के समक्ष ये सभी यन्त्र अगर बजेंगे तो लाला की नींद ख़राब हो जाएगी. इसी वजह से मंदिर में ऐसे किसी यन्त्र का प्रयोग नहीं किया जाता जिससे ठाकुर जी को परेशानी हो.उन्होंने ये भी बताया कि ठाकुर जी की ज़ब आरती होती है तब भी घंटी नहीं बजाते हैं. बता दें कि मथुरा – वृन्दावन के अधिकतर मंदिरों में घंटे, घंटी, घड़ियाल लगे होते हैं. वृन्दावन में एक मात्र ठाकुर बांके बिहारी मंदिर ऐसा है, जहां मंदिर में इन सभी चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता है.FIRST PUBLISHED : June 29, 2024, 18:50 IST