Team India First Speed Star: टीम इंडिया के पास वैसे तो तमाम सुपरफास्ट गेंदबाज आए और अपनी चमक बिखेरी. अभी भी बुमराह, शमी जैसे तेज तर्रार गेंदबाजों की फौज है. लेकिन एक जमाने में जब भारतीय क्रिकेट तेज गेंदबाजों के लिए तरसता था. उस दौर में एक ऐसा बॉलर आया और उसने देखते ही देखते तहलका मचा दिया. करीब तीस साल पहले टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाले जवागल श्रीनाथ भारत के पहले स्पीड स्टार माने जाते हैं. पूर्व कप्तान और ऑलराउंडर कपिल देव के बाद जवागल श्रीनाथ भारत के पहले विशुद्ध गेंदबाज थे जिन्होंने दुनिया के बड़े-बड़े बल्लेबाजों को अपनी गेंदों से हक्का-बक्का कर दिया था.
नेचुरली स्विंग कराते थे श्रीनाथ
असल में मौजूदा समय में भारतीय टीम में गेंदबाजों की फौज तैयार है लेकिन जवागल श्रीनाथ उस दौर के थे जब टीम इंडिया में सिर्फ बल्लेबाज ही आते थे. जब जवागल श्रीनाथ भारतीय क्रिकेट टीम में आए तो ऐसा लगा मानो टीम को वो तेज गेंदबाज मिल गया था जिसकी उसे लंबे समय से तलाश थी. उनकी गेंद की रफ्तार 145-147 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती थी. श्रीनाथ न केवल तेज गेंदबाज थे बल्कि वो नेचुरली स्विंग भी करा लेते थे.
आउट स्विंग में महारत हासिल
जवागल श्रीनाथ ने अपने करियर में जबरदस्त आउट स्विंग गेंदें फेंकी हैं. उसमें उन्हें महारत हासिल हो गई थी. मैच के दौरान वो लगातार 130-135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे लेकिन अचानक से 140-145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी गेंद फेंक देते थे. इस तरह की उनकी गेंदबाजी से बल्लेबाजों को बिल्कुल अंदाजा नहीं होता था कि अगली गेंद कहां और कितनी तेज होगी. उन्होंने 150 के पार भी लगातार गेंदें फेंकी हैं.
157 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद
मैसूर एक्सप्रेस के नाम से मशहूर रहे श्रीनाथ ने 1996-97 में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर उस टीम की बल्लेबाजी क्रम की धज्जियां उड़ा दी थीं. इस दौरान उन्होंने एक मैच में 157 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी जो उस समय किसी भी भारतीय द्वारा सबसे तेज फेंकी गई गेंद थी.
चार क्रिकेट वर्ल्ड कप खेले
अक्टूबर 1991 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू करने वाले श्रीनाथ ने उसी साल नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू भी किया. जवागल श्रीनाथ एकमात्र भारतीय तेज गेंदबाज हैं जिन्होंने चार क्रिकेट वर्ल्ड कप (1992, 1996, 1999 और 2003) खेले. उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए चार दशकों में हुए सभी वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया. 2003 के वर्ल्ड कप में उनका प्रदर्शन बेहद शानदार रहा था. उन्होंने इस टूर्नामेंट में कुल 16 विकेट लिए और भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
2003 वर्ल्ड कप से पहले वे संन्यास का ऐलान कर चुके थे लेकिन कप्तान सौरव गांगुली की गुजारिश पर उन्होंने वर्ल्ड को खेला. टीम इंडिया भले ही वो वर्ल्ड कप जीत नहीं पाई लेकिन फाइनल तक का उसका सफर जोरदार रहा. श्रीनाथ ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आखिरी मैच वर्ल्ड कप के फाइनल में खेला था. श्रीनाथ ने अपने करियर के 67 टेस्ट में 236 विकट चटकाए और 229 वनडे में 315 विकेट झटके थे.