हाइलाइट्सअखिलेश यादव के शैक्षिक गुरु ने बताई अखिलेश की बचपन की कहानीकहा डांटने या मारने पर मुस्कुरा देते थे अखिलेशइटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा के वरिष्ठ शिक्षक अवध किशोर वाजपेई को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के गुरु के नाम से पुकारा जाता है. इटावा का हर बाशिंदा अवध किशोर वाजपेई को उनके नाम से कम, अखिलेश यादव के गुरु के नाम से अधिक पुकारता है. वैसे तो अवध किशोर वाजपेई ने अपने शैक्षिक जीवन में अनगिनत छात्रों को पढाया है, लेकिन इसके बावजूद उनकी पहचान सपा प्रमुख अखिलेश यादव के गुरु के रूप में ही मानी जाती है. शिक्षक दिवस के मौके पर इटावा के सिविल लाइन इलाके में रहने वाले रिटार्यड अंग्रेजी शिक्षक अवध किशोर वाजपेई ने रविवार को न्यूज 18 से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्होंने बताया कि लोग उनके बारे में क्या कहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्हें इस बात का गर्व है कि उनके छात्र अखिलेश यादव का नाम देश के शीर्ष राजनैतिकों में गिना जाता है.
अवध किशोर वाजपेयी बताते हैं कि, उन्होंने बचपन में अखिलेश यादव को जो भी पढ़ाया लिखाया उसका असर जवान होने पर अखिलेश में साफ साफ दिखाई देता है. अखिलेश सांसद बन कर राजनीति में स्थापित तो हुए ही, साथ ही साल 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन कर के देश के प्रभावी राजनेताओं में शामिल हो गए. आज के बदले राजनीतिक हालातो मे अखिलेश यादव संधर्षपूर्ण भूमिका में दिखाई दे रहे हैं. वाजपेई कहते हैं कि भले ही अखिलेश यादव, देश के प्रभावी राजनेताओं में गिने जाते हों, लेकिन वो आज भी ठीक उसी तरह से उनका सम्मान करते हैं, जैसा बचपन में छोटे छात्र की तरह किया करते थे. अखिलेश यादव के इस व्यवहार को देख कर उनका सीना चौड़ा हो जाता है.
अखिलेश का पत्र फाड़कर भेजा था वापस
अखिलेश यादव से जुड़े हुए संस्कारों को सुनाते हुए वाजपेई बताते है कि उन्होंने नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव के अनुरोध पर अखिलेश यादव को प्रारंभिक शिक्षा दी. उसके बाद राजस्थान के धौलपुर के सैनिक स्कूल में उनका प्रवेश हो गया. लेकिन अवध किशोर वाजपेयी की भूमिका लगातार अभिभावक के रूप में बदस्तूर जारी रही. अखिलेश यादव अपने सैनिक स्कूल में शिक्षण कार्य के साथ-साथ पत्र व्यवहार के जरिए उनके संपर्क में बने रहे.
अवध किशोर वाजपेई बताते हैं कि एक बार अखिलेश यादव ने हिंदी भाषा में उनको पत्र भेजा, जिसे देखने के बाद उनको बेहद गुस्सा आया और उन्होंने उस पत्र को फाड़ कर, एक लिफाफे में बंद करके अखिलेश यादव को वापस भेज दिया. जिसके जवाब में अखिलेश यादव ने टेलीफोन पर पूछा सर जी आपने मेरा पत्र फाड़ कर, क्यों वापस भेज दिया. तब अवध किशोर ने गुस्से में अखिलेश यादव से कहा कि जब तुमको मैंने अंग्रेजी में पत्र लिखा था, तो तुमने हिंदी में जबाब क्यों भेजा. उसके बाद आज तक अखिलेश यादव ने सिर्फ अंग्रेजी में ही पत्र लिखा है.
आज भी रखे हैं अखिलेश के पत्र
अवध किशोर वाजपेई बताते हैं कि उनके पास स्मृतियों के तौर पर स्कूल के वक्त में भेजे गए अंग्रेजी के पत्र आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं. अवध किशोर वाजपेयी ने अखिलेश के सौम्य व्यवहार की चर्चा करते हुए बताया कि जब अखिलेश शैतानी करते थे, तो उनका कान मरोड़ने या मारने के लिये हाथ आगे बढ़ाने पर वो मुस्कराने लगते थे. अवध किशोर वाजपेयी ने अखिलेश यादव की जिंदगी में अहम भूमिका निभाई है.
इटावा शहर की सिविल लाइन में कचहरी रोड पर रहने वाले अवध किशोर वाजपेई कर्म क्षेत्र इंटर कालेज से रिटायर हो चुके हैं. अंग्रेजी के शिक्षक रहे अवध किशोर वाजपेई को शुरुआती दौर में अखिलेश यादव को अंग्रेजी पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अखिलेश यादव धाराप्रवाह अंग्रेजी में माहिर खिलाड़ियों को भी मात देते हैं.
अखिलेश का कद ही उनकी गुरुदक्षिणा
वाजपेई ने बताया कि साल 2012 में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सफलता की खबर सुनकर ऐसा लगा मानो उनकी शिक्षा सफल हो गयी. वाजपेई उस दिन को याद करते हैं, जब मुलायम सिंह यादव ने सेंट मेरी स्कूल में अखिलेश की पढ़ाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी थी. इसके बाद वाजजपेई ने ही अखिलेश को सैनिक स्कूल के लिए तैयार किया. अखिलेश के शैक्षिक गुरु अवध किशोर ने बताया कि कक्षा छह में अखिलेश का चयन धौलपुर सैनिक स्कूल में हो गया था. बाद के दिनों में सम्भवतः मुलायम सिंह के राजनीति में होने के चलते अखिलेश ने भी राजनीति में पदार्पण किया, नहीं तो आज वे भारतीय सेना में जनरल होते. उनका कहना है कि अखिलेश का कद ही उनकी गुरु दक्षिणा है.
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