Tata Memorial Centre doctors developed supplements to curb risk of cancer spread | कैंसर को जड़ से खत्म करने के लिए तैयार किया गया फूड सप्लीमेंट, खाने से बॉडी में नहीं बढ़ेंगे जानलेवा सेल्स

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Tata Memorial Centre doctors developed supplements to curb risk of cancer spread | कैंसर को जड़ से खत्म करने के लिए तैयार किया गया फूड सप्लीमेंट, खाने से बॉडी में नहीं बढ़ेंगे जानलेवा सेल्स



कैंसर दुनिया में होने वाले सबसे ज्यादा मौतों के कारणों में से एक है. इससे जीत पाना बहुत मुश्किल है. हालांकि मेडिकल साइंस में कैंसर के इलाज के कई विकल्प निजात किए जा चुके हैं. लेकिन फिर भी आज तक कुछ कैंसर जिसके सेल्स बहुत जल्दी फैलते हैं उन्हें खत्म करने में सफलता कठिन काम था.
ऐसे में टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉक्टरों के द्वारा तैयार की गई न्यूट्रास्युटिकल थेरेपी कैंसर के मरीजों के लिए वरदान से कम नहीं है. इसे तैयार करने वाली डॉक्टर्स की टीम का कहना है कि इस थेरेपी को मेटास्टेसिस कैंसर के इलाज और इसके जोखिम को कम करने के लिए विकसित किया गया है. बता दें कि इस रिसर्च डॉक्टर्स को में लगभग एक दशक से ज्यादा का समय लगा है.क्या होता है मेटास्टेसिस कैंसर
मेटास्टैटिक कैंसर उस कंडीशन को कहते हैं जब कैंसर के जानलेवा सेल्स शरीर के एक अंग से दूसरे हिस्से में फैलने लगते हैं. लेकिन कनेडियन कैंसर सोसायटी के अनुसार, मेटास्टैटिक कैंसर शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर केवल हार्ड ट्यूमर, जैसे ब्रेस्ट, प्रोस्टेट या लंग्स में होने वाले कैंसर के लिए किया जाता है.
क्या है न्यूट्रास्युटिकल थेरेपी
रिसर्च करने वाले डॉक्टर ने बताया कि न्यूट्रास्युटिकल एक फूड या फूड सप्लीमेंट है जिसे Rcuआर-सी यू कहते हैं. इसे कॉपर और अंगूर और बेरीज के प्लांट्स से तैयार किया गया है. इसमें एक्स्ट्रा बायोएक्टिव कंपाउंड और मेडिसिनल प्रॉपर्टीज होते हैं जो शरीर को बुनियादी पोषण के अलावा कई हेल्थ बेनिफिट्स देते हैं.
इन कैंसर के मरीजों में दिखा शानदार असर
न्यूट्रास्युटिकल का इस्तेमाल पिछले कुछ वर्षों से कैंसर के मरीजों पर शुरू कर दिया गया है. जिसका रिजल्ट ओरल, ब्लड, ब्रेन और पेट में होने वाले कैंसर में ज्यादा बेहतर रहा है.
 
स्टडी में सामने आयी कीमो, रेडियोथेरेपी का जोखिम
स्टडी को लीड करने वाले डॉ. इंद्रनील मित्रा ने TOI बताया कि हमें इस रिसर्च के दौरान कैंसर ट्रीटमेंट कीमो और रेडियोथेरेपी के जोखिम भी सामने आए हैं. हालांकि यह यह थेरेपी कैंसर की शुरुआती ट्यूमर सेल्स को खत्म कर देते हैं. लेकिन इससे मरने वाले कैंसर सेल्स क्रोमैटिन रिलीज करने का कारण बनती हैं, जिन्हें सीएफसीएचपी कहा जाता है. यह खून के माध्यम से शरीर के दूसरे हिस्सों में पहुंच कर कैंसर का कारण बनता है. 



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