Swimming in lakes with still waters May cause bacterial pneumonia Study Jheel Me Nahana | ठहरे हुए पानी वाली झीलों में डुबकी लगाने से पहले पढ़ लें ये खबर, इस बीमारी का खतरा

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Swimming in lakes with still waters May cause bacterial pneumonia Study Jheel Me Nahana | ठहरे हुए पानी वाली झीलों में डुबकी लगाने से पहले पढ़ लें ये खबर, इस बीमारी का खतरा



Swimming in lakes with still waters: जब भी हम कहीं टूर पर जातें तो लेक में बोटिंग या स्विमिंग का लुत्फ उठाना नहीं भूलते, लेकिन अब इसको लेकर हमें सतर्क हो जाना चाहिए. कुछ ठहरे हुए पानी वाली झीलों में तैरने से ‘लेजिओनेला’ (Legionella) नामक बैक्टीरिया से इंफेक्शन हो सकता है, जो निमोनिया का कारण बन सकता है – रिसर्चर्स की एक टीम ने मंगलवार को कहा और खुले पानी में तैरने वाले लोगों को इस खतरे से अलर्ट रहने के लिए कहा. 
लेजिओनेला बैक्टीरिया क्यों है खतरनाक?लेजियोनेयर्स डिजीज (Legionnaires’ disease) के नाम से भी जाना जाने वाला, लेजिओनेला से इंफेक्शन गंभीर फेफड़ों की सूजन का कारण बनता है जो बुखार, ठंड लगना, तबीयत खराब होना, सीने में दर्द, खांसी, थकान, सांस लेने में तकलीफ और कभी-कभी डायरिया का भी कारण बन सकता है. 

मैनिटोबा यूनिवर्सिटी (University of Manitoba) में इंटरनल मेडिसिन रेसिडेंट डॉ. एशले ब्रायसन (Dr. Ashley Bryson) ने कहा, “लेजियोनेला इंफेक्शन एक पब्लिक हेल्थ हैजार्ड है क्योंकि ये नेचुरल वॉटर बॉडीज और इंसानों के बनाए हुए जलाशयों के संपर्क के जरिए फैलने की क्षमता रखता है.”  
ऐसी जगहों पर सावधान रहेंकैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल (Canadian Medical Association Journal) में छपे एक आर्टिकल में, एक्सपर्ट्स ने समझाया कि लेजिओनेला बैक्टीरिया प्लंबिंग सिस्टम, एयर कंडीशनर, पब्लिक स्पा और यहां तक ​​कि झीलों और नदियों के गर्म, रुके हुए पानी में पनपते हैं. 50 साल से ज्यादा उम्र, स्मोकिंग की हिस्ट्री, पुरानी दिल या किडनी की बीमारी, डायबिटीज और कमजोर इम्यून सिस्टम लेजिओनेयर्स डिजीज के मेन रिस्क फैक्टर्स हैं.
 
डॉक्टर्स को क्या देखना चाहिए?रिसर्चर्स ने सलाह दी, “डॉक्टर्स को निमोनिया के मरीजों में लेजिओनेयर्स डिजीज पर विचार करना चाहिए जो ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल के बावजूद ठीक नहीं होते हैं, खासकर अगर निमोनिया गंभीर है, प्रतिरक्षाविहीन रोगियों या हाल ही में ट्रैवल हिस्ट्री वाले मरीजों में हो रहा है, या जब सिर्फ एटिपिकल पैथोजेंस के खिलाफ एक्टिविटी के बिना एंटीमाइक्रोबियल दवाएं दी गई हैं.”
उन्होंने नोट किया कि लेजिओनेयर्स डिजीज के लिए टेस्ट तब किया जाना चाहिए जब मरीज कम्यूनिटी एक्वायर्ड निमोनिया के लिए आउट पेशेंट एंटीबायोटिक इलाज के लिए अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं; गंभीर निमोनिया वाले, खास तौर से इंटेंसिव केयर की जरूरत वाले मामलों में.
किनका टेस्ट जरूरी?कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग; लक्षण शुरू होने के 14 दिनों के भीतर ट्रैवल हिस्ट्री वाले लोग; अस्पताल में भर्ती होने वाले हॉस्पिटल एक्वायर्ड निमोनिया वाले लोगों का भी लेजिओनेयर्स डिजीज के लिए टेस्ट किया जाना चाहिए. लक्षण आमतौर पर एक्सपोजर के 2-14 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं लेकिन हफ्तों तक बने रह सकते हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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