नोएडा. सुपरटेक बिल्डर (Supertech Builder) ने नोएडा में सियान और एपेक्स टावर अवैध रूप से बनाए थे. नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के कुछ पूर्व अफसरों ने भी बिल्डर के लिए नियमों को लचीला बना दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर ट्विन टावर (Twin Tower) और उससे जुड़ी फाइलों पर एक साथ हथौड़ा चल रहा है. अथॉरिटी में तैनात रहे कई अफसरों समेत 30 लोगों को आरोपी बनाया गया है. बीते दो से तीन दिन तक अथॉरिटी में ट्विन टावर से जुड़ी फाइलें खंगाली गई हैं. जांच के बाद रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी गई है. सुपरटेक बिल्डर पर भी तीन तरफा मार पड़ी है. कोर्ट के आदेश पर टावर टूट रहे हैं, फ्लैट खरीदारों को पैसा लौटाना पड़ रहा है और टावर तोड़ने वाली कंपनी को भी करोड़ों रुपये का भुगतान करना है.
2 सीईओ और 2 एसीईओ ने ऐसे पहुंचाया था फायदा
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक की एमराल्ड योजना के ट्वीन टावर को गिराने के आदेश दिए हैं. जानकारों की मानें तो निर्माण करते वक्त दो टावर के बीच 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए, लेकिन एमरॉल्ट योजना के मामले में ऐसा नहीं किया गया. साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे 4 आईएएस अफसर 2 सीईओ और 2 एसीईओ ने सभी नियमों को ताक पर रखकर बिल्डर्स को फायदा पहुंचाया था. यही वजह है कि वैश्विक मंदी के उस दौर में जब सभी कारोबार कराह उठे थे तो नोएडा के कुछ बिल्डर्स चांदी काट रहे थे.
ये थे नोएडा अथॉरिटी के नियम-
किसी भी बिल्डर्स को ग्रुप हाऊसिंग का प्लॉट लेने के लिए जमीन की कीमत का 10 फीसद पैसा रजिस्ट्रेशन के वक्त और 20 फीसद आवंटन के वक्त देना होता था. बाकी 70 फीसद पैसा 5 साल के दौरान 10 बराबर किस्तों में चुकाना होता था.
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लेकिन जब बदल दिए गए नियम-
नियम बदलने के बाद ग्रुप हाऊसिंग का प्लॉट लेने के लिए जमीन की लागत का 5 फीसद रजिस्ट्रेशन शुल्क और 5 फीसद आवंटन शुल्क कर दिया गया. आवंटन के बाद तीन साल तक बकाया पैसे पर केवल ब्याज लेने का नियम बना दिया गया. वहीं तीन साल बाद 7 सालों में 14 बराबर किस्तों में बाकी 90 फ़ीसदी पैसा देने की रियायत बिल्डर्स को दे दी गई.
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