लखनऊ: वह निकला तो घर से क्रिकेटर बनने था, लेकिन किस्मत ने कुछ ऐसा रंग दिखाया कि उसके कदम एथलीट की ओर बढ़ गए. मेहनत रंग लाई और आज उसके पास उसकी उम्र से भी ज्यादा मेडल हैं. यही नहीं, उस नौजवान ने अपने पिता का सपना भी पूरा किया और उनके अच्छे दिन लेकर आया. अब उसके पिता खेती नहीं करते, बिजनेस करते हैं. यहां बात लखनऊ के एथलीट रजनीश कुमार की हो रही है.गरीबी से निकलकर खुद को एक मुकाम पर पहुंचाना और अपने पिता के सपने को भी साकार करना, 17 वर्षीय रजनीश कुमार इसकी जीती-जागती मिसाल हैं. रजनीश गोरखपुर के एक छोटे से गांव डुमरिया से आते हैं. उनके पिता विजेंद्र कुमार एक वक्त पर बेहद गरीब किसान थे, लेकिन वह तब भी चाहते थे कि उनका बेटा खिलाड़ी बने. अपने पिता के सपने को रजनीश ने एथलीट बनकर पूरा कर दिया. अब रजनीश के पिता की पहचान एक व्यवसायी के रूप में भी है.रजनीश कुमार की उम्र महज 17 साल है. इस उम्र में ही उन्होंने अब तक 25 अवार्ड जीते हैं. इनमें से 11 ऐसे अवार्ड हैं, जिसमें उन्होंने खिताब जीते हैं. रजनीश ने बताया कि 2013 में गोरखपुर के छोटे से गांव से निकलकर वह लखनऊ के क्रिकेट एकेडमी में आए थे. सपना था क्रिकेट में अपना करियर बनाने का, लेकिन जब क्रिकेट में प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा तब वह अपने एक दोस्त के कहने पर एथलेटिक्स में आ गए. पहली बार में ही उन्होंने पांच किलोमीटर की दौड़ की प्रतियोगिता जीती थी, जिसमें पहला स्थान हासिल किया था. बताया कि इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज एथलेटिक्स की फील्ड में वह अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं.रजनीश कुमार लखनऊ की क्रिकेट एकेडमी में दौड़ लगाते हैं. वह जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का प्रदर्शन कर चुके हैं. इसके लिए वह कई घंटे पसीना बहाते हैं, ताकि उनका प्रदर्शन और बेहतर हो सके. उनके कोच बजरंग सिंह भी उनकी पूरी मदद करते हैं. फिलहाल, रजनीश कुमार का सपना देश के जाने-माने एथलीट्स में अपना नाम शामिल करने का है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : February 01, 2023, 18:48 IST
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