निखिल त्यागी/सहारनपुर: सहारनपुर के गुरुद्वारा रोड पर मिठाई की एक मशहूर दुकान है. कई वर्षो से यह दुकान ग्राहकों के लिए पसंदीदा जगह बनी हुई है. इस दुकान के स्वामी ने दूसरे शहर से आकर यहां जलेबी बनाने का काम शुरू किया था. जो कड़ी मेहनत व संघर्ष के बाद आज सहारनपुर में अपनी पहचान बना चुके हैं. रेहड़ी से काम शुरू करके आज जनपद के पॉश एरिया में अपनी दुकान चला रहे हैं.
सहारनपुर के गुरुद्वारा रोड पर नामदेव स्वीट्स को भला कौन नहीं जानता. नामदेव स्वीट्स पर कई प्रकार की मिठाई बनाकर बिक्री की जाती है. दुकान के मालिक आदेश नामदेव ने बताया कि नामदेव स्वीटस को शहर में स्वादिष्ट जलेबी के लिए जाना जाता है. जलेबी बनाना हमारा पुस्तैनी कारोबार है, जो हमेंं विरासत में मिला है. उन्होंने बताया कि हमारी दुकान पर मिलने वाले मिठाई के व्यंजन शुद्धता व गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं. इसी कारण इन व्यंजनों का स्वाद भी लोगों के सर चढ़कर बोलता है. उन्होंने बताया कि मिठाई के अलावा नमकीन व स्नैक्स के भी कई व्यंजन नामदेव स्वीटस पर उपलब्ध हैं.रेहड़ी से शुरू किया था कारोबारआदेश नामदेव ने बताया कि 80 के दशक में उनके पिता लक्सर शहर से सहारनपुर आए थे और उन्होंने स्टेशन पर रेहड़ी लगाकर चाय व जलेबी बेचनी शुरू की थी. उन्होंने बताया, ‘पिता की मृत्यु के बाद हम तीन भाइयों ने इस कारोबार को जारी रखा और धीरे-धीरे जलेबी बनाने के साथ-साथ अन्य मिठाई बनाना भी शुरू किया. तीनों भाई पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता से विरासत में मिले इस काम को भी करते आ रहे हैं और कड़ी मेहनत, संघर्ष व लगन के साथ करते-करते आज पिता का छोटा सा काम नामदेव स्वीट्स के नाम से जनपद में अपनी पहचान बन चुका है.
रेहड़ी पर जलेबी बेचना शुरू किए थे पिताआदेश ने बताया की उनकी दुकान पर सहारनपुर ही नहीं अन्य शहरों से भी लोग मिठाई लेने आते हैं. जिससे उनकी दुकान की सेल में इजाफा होता है. सालाना आमदनी की बात कर तों 12 से 15 लाख रुपये तक की आमदनी भी हो जाती है. आदेश नामदेव के मुताबिक काम कोई भी हो छोटा या बड़ा नहीं होता.
रंग लाई मेहनतबस ईमानदारी लगन मेहनत व संघर्ष से अपने रास्ते पर चलने से सफलता निश्चित रूप से मिलती है. उन्होंने बताया कि इसका उदाहरण सभी के सामने है कि हमारे पिता रेहड़ी पर जलेबी बेचते थे और आज उनकेबेटों ने जनपद के पॉश एरिया गुरुद्वारा रोड में अपनी खुद की दुकान खरीदकर नामदेव स्वीट्स प्रतिष्ठान बना दिया है.
.Tags: Food 18, Local18, Success StoryFIRST PUBLISHED : March 16, 2024, 13:51 IST
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