Last Updated:March 03, 2025, 10:19 ISTTop-5 Varieties Of Ridge Gourd : मार्च के महीने में सरसों के खेत खाली हो जाते हैं. जबकि धान की बुवाई में अभी 3-4 महीने का समय है. ऐसे में किसान खाली खेतों में तोरई की इन 5 किस्मों से खेती कर सकते हैं. तोरई की …और पढ़ेंX
तोरई हाइलाइट्सतोरई की फसल 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है.तोरई की किस्में: कल्याणपुर हरी, पंत, पूसा, काशी दिव्या, पूसा सुप्रिया.मार्च में सरसों की कटाई के बाद तोरई की खेती से अच्छा मुनाफा.शाहजहांपुर : मार्च के महीने में सरसों की फसल की कटाई के बाद आप अगर तोरई की फसल लगा दें तो कम दिनों में आपको अच्छा उत्पादन मिल जाएगा. तोरई की फसल 50 से 60 दिनों में तगड़ा उत्पादन देने लगती है. तोरई की कई ऐसी किस्में हैं जो किसानों को कम दिनों में अच्छा उत्पादन देती हैं. खास बात यह है कि गर्मियों के सीजन में तोरई की मांग बेहद ज्यादा रहती है. बाजार में किसानों को अच्छे भाव भी मिलते हैं.
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि तोरई की फसल से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. जरूरी है कि किसान तोरई की फसल लगाते समय उन्नत किस्म का चयन करें. तोरई की किस्म कल्याणपुर हरी चिकनी, पंत चिकनी तोरई 1, पूसा चिकनी, काशी दिव्या और पूसा सुप्रिया अच्छा उत्पादन देती हैं.
पीएच मान का रखें ध्यानपूसा सुप्रिया तोरई की एक उन्नत किस्म है. यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित की गई है. यह किस्म 50 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके फल मध्यम आकार के, चिकने और हरे रंग के होते हैं. यह किस्म अच्छी उपज देती है और रोगों के प्रतिरोधी है. पूसा सुप्रिया तोरई की खेती के लिए 25-37 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है. तोरई की खेती के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थों से युक्त और अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मृदा की आवश्यकता होती है. साथ ही, मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. यह किस्म किसानों को 130 से 140 से क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है.
50 दिनों में मिलेगा उत्पादन पंत चिकनी तोरई 1 एक लोकप्रिय किस्म को गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म के फल हरे, बेलनाकार और लंबे होते हैं. यह 50 से 55 दिनों में पहली लड़ाई के लिए तैयार हो जाती है खास बात यह है कि 140-170 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है.
पूसा चिकनी किस्म की खासियत पूसा चिकनी तोरई भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित एक लोकप्रिय किस्म है. इस किस्म के फल चिकने, हरे, बेलनाकार और मध्यम आकार के होते हैं. यह किस 60 से 70 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसान 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन ले सकते हैं.
60 दिनों में शुरू होगी कमाई काशी दिव्या तोरई को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित की गई है. इसके फल मध्यम आकार के, गुदेदार और पतले होते हैं. इस किस्म की उत्पादन क्षमता 130- 160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म रोग प्रतिरोधी भी है. यह किस्म 60 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. यह किस्म डाउनी इमलड्यू रोग प्रतिरोधी है.
मिलेगा 220 क्विंटल तक उत्पादन कल्याणपुर हरी चिकनी तोरई की एक लोकप्रिय किस्म है, जिसे चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा विकसित किया गया है. इसके फल मध्यम आकार के, गुदेदार और पतले होते हैं. यह किस्म अपनी अधिक उपज और गुणवत्ता के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय है. यह किस्मत से 70 दिनों में पहली लड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि यह 200 से 220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है.
Location :Shahjahanpur,Uttar PradeshFirst Published :March 02, 2025, 20:22 ISThomeagricultureसरसों की कटाई के बाद लगा दें तोरई की ये 5 किस्में, 50 दिनों में शुरू होगी कमाई