अभिषेक माथुर/हापुड़. गुड़ एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसका लोग अधिकतर खाने के बाद सेवन करते हैं. इसका सेवन खाने के बाद इसलिए किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि गुड़ पाचन क्रिया के लिए काफी फायदेमंद होता है. यही वजह है कि गुड़ की डिमांड आज भी लोगों में अधिकतर रहती है. गुड़ के गर्म होने की वजह से गर्मियों में इसकी मांग कम रहती है, लेकिन सर्दियों में गुड़ जर्बदस्त तरीके से मार्केट में बिकता है. गुड को किस तरह से बनाया जाता है, क्या आपको इस बारे जानकारी है. यदि नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि गुड़ को आखिरकार किस तरह से तैयार किया जाता है.
आपको बता दें कि सबसे पहले गन्ने की कटाई-छंटाई की जाती है. इसके बाद गन्ने को रस निकालने के लिए कलेसर यानि (रस निकालने वाली मशीन) पर लाया जाता है. यहां गन्ने का रस निकाला जाता है. इस रस को एक बड़ी कढ़ाव में डाल दिया जाता है. करीब 200 डिग्री से अधिक तापमान पर उसे उबाला जाता है. इसके बाद रस को दूसरे कढ़ाव में डाल दिया जाता है. यहां रस की सफाई की जाती है. सुखलाई डालकर रस की मैली उतारी जाती है.
गन्ने से गुड़ बनाने का प्रोसेससुखलाई एक ऐसी सामग्री है, जिसके गन्ने के रस में डालते ही रस की गंदगी ऊपर तैरती हुई आ जाती है. इसके बाद इसे एक कारीगर द्वारा मैली को निकाल दिया जाता है. तीसरा पड़ाव होता है गुड़ को तैयार करने के लिए इसे तीसरे कढ़ाव में डाला जाता है. यहां करीब 300 डिग्री तापमान से अधिक आंच पर गन्ने के रस को पूरी तरह से गुड़ के रूप में तैयार कर लिया जाता है और फिर बाद में पत्थर से बने एक चकोर चाक पर उसे उतार लिया जाता है. यहां गुड़ की घुटाई करके ठंडा किया जाता है और बाद में गुड़ को अंतिम रूप दिया जाता है.
कई जगहों पर होता है सप्लाईलुहारी गांव में कलेसर पर काम करने वाले मुनीम अशोक कुमार ने बताया कि उनके यहां कलेसर में प्रत्येक दिन 2500 किलो से लेकर 3000 किलो तक गुड़ तैयार किया जाता है. गुड़ को मुजफ्फरनगर, हापुड़, मेरठ, दिल्ली आदि जगहों पर सप्लाई किया जाता है. उनके यहां पूरे दिन में करीब 12 से 15 घंटे काम होता है. यानि सुबह 5 बजे से गुड़ तैयार करने के लिए कारीगर आ जाते हैं और रात 11 बजे तक गुड़ को तैयार किया जाता है. करीब 16-17 कारीगर हैं, जो गुड़ को तैयार करते हैं.
.Tags: Hapur News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : October 27, 2023, 20:40 IST
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