चंदौली. उत्तर प्रदेश में सोनभद्र के दुद्धी विधानसभा (सुरक्षित) से पूर्व विधायक रहीं रूबी प्रसाद का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है. अनुसूचित जाति / जनजाति आयोग की ओर से गठित कमेटी ने बुधवार को अपना फैसला देते हुए इनके प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया. शासन के इस फैसले के बाद पूर्व विधायक की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उनके खिलाफ फर्जीवाड़े से जुड़ी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने के साथ ही रिकवरी की कार्रवाई भी जा सकती है.
बता दें कि वर्ष 2012 में राम नरेश पासवान की अपील पर इस मामले की जांच शुरू की गई. इस मामले में याचिकाकर्ता और राज्य अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष राम नरेश पासवान ने न्यूज 18 से बातचीत में बताया कि रूबी प्रसाद फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे दुद्धी से विधायक बनी थीं. फर्जी तरीके से विधायक बनने का प्रकरण उस वक्त संज्ञान में आया था, जिसकी जांच भी की गई और हाई कोर्ट तक इस मामले को ले जाया गया. हालांकि जब जांच की प्रक्रिया चल ही रही थी और इसी बीच प्रमुख सचिव समाज कल्याण हिमांशु कुमार को कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए गए थे. आज उस कमेटी का निर्णय आया है, जिसमें प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने की बात सामने आई है और रूबी प्रसाद का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है.
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पासवान ने बताया कि रूबी प्रसाद न सिर्फ फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे विधायक बनीं, बल्कि विधायक रहते हुए इस पद का बेजा इस्तेमाल भी किया. वे जिस दल की सरकार बनती थी उस दल में शामिल होकर अपनी जांच को लगातार प्रभावित करने का प्रयास करती थीं. हालांकि इसके बावजूद योगी सरकार ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ जांच के निर्देश दिए और गठित कमेटी ने जांच के बाद बड़ा निर्णय लेते हुए आज उनके प्रमाण पत्र के निरस्तीकरण की कार्रवाई की. वह कहते हैं कि योगी सरकार का यह फैसला भविष्य के लिए एक नजीर साबित होगा.
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रामनरेश पासवान ने बताया कि 2007 में उन्होंने फर्जी तरीके से जाटव जाति का प्रमाण पत्र बनवाया. इसके बाद वह 2012 में दुद्धी विधानसभा से विधायक बन गईं. जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि वह बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली हैं. इनके पिता सुबोध सिंह (राजपूत) हैं. इसके बाद गठित कमेटी की विजिलेंस टीम ने प्राथमिक स्कूली शिक्षा, वंशावली, खसरा-खतौनी समेत अन्य प्रमाण पत्रों की जांच की, जिसमें सामान्य जाति (राजपूत) का होना पाया गया.
इसके अलावा उनके पिता सुबोध सिंह ने भी अपनी बेटी का रूबी सिंह बताया, जिन्होंने एक दलित युवक से प्रेम विवाह कर लिया था. इसके बाद इस पूरे मामले के साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर 8 सदस्यीय कमेटी ने पाया कि पूर्व रूबी प्रसाद असल में रूबी सिंह हैं, जो कि राजपूत जाति की है. इसके बाद 17 मई को उनका जाटव जाति वाला प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने का निर्णय लिया. साथ ही इसके संबंधित तहसीलदार के खिलाफ लापरवाही की बात कही गई.
गौरतलब है कि आयोग के इस आदेश के बाद पूर्व विधायक रूबी प्रसाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं. फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे विधायक बनने व उसका लाभ लेने की दशा में उनके खिलाफ फर्जीवाड़े से संबंधित सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. यही नहीं विधायक रहते हुए जिस तरह से सरकारी धन का उपयोग और लाभ लिया गया है. इस बाबत मुकदमा दर्ज किए जाने के साथ ही उनसे रिकवरी भी जा सकती है. ऐसी सूरत में आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है.
बता दें कि रूबी प्रसाद की शादी सोनभद्र के डॉक्टर एच. प्रसाद से हुई थी. सियासत में रूचि के चलते दुद्धी सीट से कांग्रेस के समर्थन से निर्दल लड़ा और जीत गईं. इसके बाद उन्होंने सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. हालांकि रूबी प्रसाद एक बार सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं. इसके अलावा मिशेल ओबामा के हाथों वोमेन इम्पॉवरमेंट के लिये सम्मानित हुई थीं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Caste Certificate, Chandauli News, SC ST CommissionFIRST PUBLISHED : May 18, 2022, 11:46 IST
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