बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर उत्तर की तरफ टिनिच बाजार के बगल बलुआ में माता समय का मंदिर है. मान्यता है कि पहले बस्ती राजा का यहां पर महल होता था. माता समय उन्हीं की कुलदेवी हुआ करती थी. यह बात लगभग तीन चार सौ साल पुरानी है. इसके सैकड़ों वर्ष बाद जब ट्रेन का आवागमन उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ इस बीच ट्रेन की पटरी बस्ती से होते हुए गोंडा लखनऊ की तरफ लगने लगी. उस समय पटरी मां समय के ऊपर से ही जा रही थी. लोगों ने बताया कि बगल में एक रेलवे का पुल भी है जो बनते ही डूब जाया करता था. तब माता ने ठेकेदार के सपने में आकर यह कहा कि हमारे स्थान का निर्माण करवाओ और ट्रेन की पटरी बगल से लेकर जाओ तभी तुम्हारा कार्य हो पाएगा. जब ठेकेदार ने ऐसा कराया तो पुल बनकर तैयार हो गया.क्या कहते हैं पुजारीयहां के पुजारी ने Local 18 से बातचीत में बताया कि ट्रेन की पटरी मां के स्थान से जा रही थी. पटरी दिनभर लगा के जाते तो वह रात में अस्त-व्यस्त हो जाती थी. ऐसा कई दिनों तक चला. उसके बाद माता ने रेलवे इंजीनियर को सपने में कहा कि वह अपनी पटरी बगल से ले जाएं तभी उनका निर्माण हो पाएगा. बगल करने से रेलवे ट्रैक टेढ़ा हो गया लेकिन लाइन लग गई और आवागमन शुरू हो गया. इसके बाद इंजीनियर और ठेकेदारों ने मिलकर माता का चबूतरा बनवाया और पूजा अर्चना भी की.क्या हैं मान्यताएं क्यों हैं इतनी मूर्तियांमां समय के प्रांगण में छोटी बड़ी मिलाकर लगभग हजारों मूर्तियां हैं. जो कोई भी माता के दरबार में अपनी कामना लेकर जाता है तो मान्यता है कि वह कामना पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद लोग एक मूर्ति का निर्माण कराते हैं. ऐसे होते होते अब तक लगभग हजारों मूर्तियों का निर्माण हो गया है. हर मंगलवार को यहां पर हजारों की संख्या में मां की पूजा अर्चन के लिए भीड़ लगती है. पूजा अर्चना के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं. यहां तक की अन्य जनपदों से भी भक्तों का तांता लगा रहता है.FIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 21:01 IST