Slow baby growth during pregnancy these 7 reasons become obstacles in fetal development | भ्रूण विकास में अड़चन बनते हैं ये 7 कारण, समय रहते एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय

admin

Slow baby growth during pregnancy these 7 reasons become obstacles in fetal development | भ्रूण विकास में अड़चन बनते हैं ये 7 कारण, समय रहते एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय



प्रग्नेंसी के दौरान भ्रूण का विकास एक अद्भुत और जटिल प्रक्रिया है, जिसमें एक फर्टिलाइज्ड अंडे से पूरी तरह विकसित शिशु का निर्माण होता है. यह प्रक्रिया जेनेटिक, हार्मोनल और पर्यावरणीय फैक्टर्स के आपसी तालमेल से संचालित होती है. हालांकि, कई बाहरी और इंटरनल फैक्टर भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकते हैं.
दिल्ली स्थित सीके बिड़ला अस्पताल (आर) में सीनियर फेटल मेडिसीन एक्सपर्ट डॉ. मोलश्री गुप्ता ने इस विषय पर हमसे चर्चा की और बताया कि कौन- कौन से फैक्टर भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकते हैं.
भ्रूण के विकास को प्रभावित करने वाले कारक1. जेनेटिक: शिशु की वृद्धि क्षमता में जीन्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.2. पोषण: प्रोटीन, विटामिन और मिनिरल्स जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट भ्रूण के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है.3. हार्मोन: इंसुलिन और ग्रोथ हार्मोन जैसे हार्मोन भ्रूण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.4. मां की सेहत: डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और संक्रमण जैसी समस्याएं भ्रूण के विकास पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकती हैं.5. गर्भाशय और प्लेसेंटा: गर्भाशय या प्लेसेंटा में किसी प्रकार की समस्या से भ्रूण को पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.6. लाइफस्टाइल: धूम्रपान, शराब और ड्रग्स का सेवन भ्रूण के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है.
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के प्रभावडायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर प्रग्नेंसी के दौरान भ्रूण के विकास में कई समस्याएं पैदा कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे?
डायबिटीज* ज्यादा ब्लड शुगर लेवल से शिशु का आकार बड़ा हो सकता है, जिससे प्रसव में समस्याएं बढ़ जाती हैं.* प्लेसेंटा में ब्लड फ्लो कम होने से शिशु की वृद्धि धीमी हो सकती है.* पहले तिमाही में अनकंट्रोल ब्लड शुगर गर्भपात और जन्म दोष का खतरा बढ़ा सकता है.
हाई ब्लड प्रेशर* प्लेसेंटा में खून का फ्लो बाधित होने से शिशु के विकास में कमी हो सकती है.* समय से पहले प्रसव और प्लेसेंटा का समय से पहले अलगाव जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
बचाव और देखभाल* नियमित रूप से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग.* डॉक्टर की सलाह से दवाओं का सेवन.* बैलेंस डाइट और नियमित व्यायाम.* अल्ट्रासाउंड और नियमित प्रसवपूर्व देखभाल के जरिए भ्रूण के विकास की निगरानी.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



Source link