Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर, वो नाम जो क्रिकेट की दुनिया में किसी भी परिचय का मोहताज नहीं हैं. ‘क्रिकेट के भगवान’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को यूं ही नहीं महान क्रिकेटर का दर्जा नहीं मिला. उन्होंने लंबे करियर में न सिर्फ बल्ले से बल्कि अपने शांत स्वभाव से भी कई चीजों को संभाला है. इसका एक उदाहरण राजीव शुक्ला ने भी पेश किया. उन्होंने बताया कैसे सचिन कई बार टीम में उलझी हुई गुत्थी को सुलझा देते थे. उन्होंने दिग्गज वीरेंद्र सहवाग और जॉन राइट के बीच अनबन का उदाहरण देकर सचिन की तारीफ की.
2013 में लिया था संन्यास
तेंदुलकर ने अपने लंबे करियर पर साल 2013 में विराम लगा दिया था. उन्होंने 1989 में 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के लिए टेस्ट मैच में डेब्यू किया. करियर में कुछ समय तक बतौर कप्तान काम किया, लेकिन उन्हें उस भूमिका में सफलता नहीं मिली. इसका असर उनकी फॉर्म पर भी देखने को मिला था. रिकॉर्डबुक में बड़े रिकॉर्ड्स में सचिन का नाम टॉप पर नजर आता है. हालांकि, वह कप्तान नहीं थे तो भी अपने अनुभव और खेल का ज्ञान से उन्होंने अपने साथियों की मदद की. राजीव शुक्ला ने बताया कि वह अक्सर उनकी सलाह लिया करते थे.
क्या बोले राजीव शुक्ला?
YouTube पर BeerBiceps से बात करते हुए राजीव शुक्ला ने कहा, ‘जब वीरेंद्र सहवाग की घटना हुई, तो भारत के कोच जॉन राइट ने उन्हें धक्का दिया. सहवाग बहुत दुखी थे और उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे धक्का दिया और वे लगभग रोने लगे. सभी खिलाड़ियों ने फैसला किया कि जॉन राइट को सहवाग से माफी मांगनी चाहिए. मैं सहमत हो गया और उनके कमरे में गया, उनसे कहा कि उनका आदेश खिलाड़ियों को छूने या धक्का देने का नहीं है.’
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सचिन ने सुलझाया मसला
राजीव शुक्ला ने बताया कि जॉन राइट ने उनसे कहा, ‘उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी किया, वह इसलिए किया क्योंकि वे सहवाग को अपना शिष्य मानते हैं. जैसा कि एक पिता या गुरु करते हैं. मैंने उनसे कहा कि वे एक विशेष शॉट न खेलें, लेकिन उन्होंने फिर से वही खेला. आज मैं चाहता था कि वे शतक बनाएं और वे ऐसा नहीं कर पाए. तो एक पिता या गुरु कैसे क्रोधित होते हैं, मैं क्रोधित हो गया. उन्होंने जो कहा वह सच था और मैंने सहवाग को यह बताया. वे समझ गए लेकिन माफी मांगने के लिए सभी का दबाव था. फिर सचिन मुझे एक कोने में ले गए और मुझसे कहा कि मैंने जॉन राइट से माफी मांगने के लिए कहा तो राइट अपने खिलाड़ियों पर अपना अधिकार खो देंगे. वह हमेशा समझदारी भरी सलाह देते थे और फिर मैंने सहवाग को समझाया. फिर उन्होंने खुद कहा कि राइट को माफ़ी मांगने की ज़रूरत नहीं है.’