Which Diabetes Blood test is most accurate: ब्लड शुगर की जांच लैबोरेटरी में जाकर ब्लड सैंपल देने के अलावा घर पर ग्लूकोमीटर से खुद भी कर ली जाती है. वहीं डायबिटीज का पता लगाने के लिए एक और टेस्ट होता है HbA1c. आमतौर पर डॉक्टर डायबिटीज या ब्लड शुगर के लक्षणों वाले मरीजों को HbA1c टेस्ट ही कराने की सलाह देते हैं, जबकि डायबिटीज के मरीजों को घर पर उंगली से ब्लड लेकर ग्लूकोमीटर से जांच करने के लिए कह देते हैं. आपको भी लगता होगा आखिर ऐसा क्यों है? आपको मालूम है कि शुगर की जांच के लिए कितने तरह के टेस्ट कराए जाते हैं और सबसे अच्छा और भरोसेमंद टेस्ट कौन सा है? एक सामान्य व्यक्ति को डायबिटीज (Diabetes) की जांच के लिए कौन सा टेस्ट कराना चाहिए? आइए देश के टॉप एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और मैक्स साकेत में हैड ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड डायबिटीज डिविजन, डॉ. अंबरीश मित्तल से बेहद सरल भाषा में जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब..
1. सवाल- शुगर की जांच के लिए कितने प्रकार के टेस्ट होते हैं? जवाब- डायबिटीज या शुगर की जांच दो प्रकार से होती है. एक में सीधे ब्लड शुगर नापते हैं. यह दो तरह से, खाली पेट और नाश्ता करने के दो घंटे बाद नापा जाता है. अगर डायबिटीज का डायग्नोसिस करना हो तो 75 ग्राम ग्लूकोज लेने के दो घंटे बाद (Glucose tolerance blood sugar) यह जांच की जाती है. इसमें अगर व्यक्ति की ब्लड शुगर खाली पेट 126 से ऊपर आती है और ग्लूकोज लेने के दो घंटे बाद की जांच में 200 मिलीग्राम से ऊपर आती है तो माना जाता है कि डायबिटीज है. ब्लड शुगर की जांच घर पर भी हो सकती है.
इसके साथ ही डायबिटीज का दूसरा टेस्ट होता है जिसे Hba1c कहते हैं. यह टेस्ट हमारे ब्लड में पिछले 3 महीने में शुगर का औसत बताता है. Hba1c बहुत उपयोगी टेस्ट है क्योंकि इसमें पूरा एवरेज आ जाता है और उस पर्टिकुलर दिन ली गई शुगर से कोई अंतर नहीं पड़ता. Hba1c का रिजल्ट अगर 6. 5 से ऊपर होता है तो माना जाता है कि व्यक्ति को डायबिटीज हो गई है और 5.7 से 6.5 के बीच में होता है तो उसे प्री डायबिटीज माना जाता है. यह इसलिए भी उपयोगी है क्योंकि एक ही ब्लड सैंपल से पूरे 3 महीने के ब्लड शुगर का पता चल जाता है. यह टेस्ट लैबोरेटरी में ही कराया जाता है.
2. सवाल- ब्लड शुगर और Hba1c दोनों की रिपोर्ट कई बार अलग-अलग आती है? ऐसा क्यों?
जवाब- अक्सर ब्लड शुगर हो या HbA1c हो, दोनों ही टेस्ट की रिपोर्ट मेल खाती हैं. हालांकि कोई भी जांच ऐसी नहीं होती, जिसमें गलत की गुंजाइश न हो. HbA1c में भी 10 से 15 फीसदी लोगों रिपोर्ट गलत आ सकती है. लैब में गलती हो सकती है, हीमोग्लोबिन में फर्क हो सकता है, या आयरन डेफिशिएंसी एनिमिया होता है या उसकी दवा ले रहे होते हैं या थैलीसीमिया हो तो इन सबसे Hba1c पर थोड़ा-थोड़ा फर्क पड़ सकता है.
3. सवाल-दोनों में से कौन सा टेस्ट है बेस्ट? क्या Hba1c की रिपोर्ट हमेशा सही आती है? जवाब- दोनों ही टेस्ट जरूरी हैं लेकिन दोनों की कमियां भी हमको मालूम होनी चाहिए. आमतौर पर जब किसी को डायग्नोसिस में डायबिटीज का पता चल चुका होता है तो उसकी मॉनिटरिंग के लिए घर पर ग्लूकोमीटर से ब्लड शुगर जांचने के लिए कहा जाता है. ताकि रोजाना शुगर के बढ़ने-घटने का पता चलता रहे.
जबकि अगर किसी को यह पता करना है कि उसे डायबिटीज है या नहीं तो उसके लिए HbA1c जांच की सलाह दी जाती है. ताकि 3 महीने का ब्लड शुगर औसत पता चल सके. यह जांच ज्यादा भरोसेमंद और उपयोगी है. हालांकि डायबिटीज के मरीजों को भी हर 3 महीने पर HbA1c की जांच कराने के लिए कहा जाता है.
4. सवाल- घर पर या लैब में कहां कराएं ब्लड शुगर की जांच? कौन सा है सही
जवाब- जो हम ब्लड शुगर ग्लूकोमीटर से नापते हैं और जो लेबोरेटरी में जाकर जांच कराते हैं, उसमें कभी-कभी फर्क आता है. हालांकि नए ग्लूकोमीटर में ये फर्क काफी कम हो गया है. यह इसलिए भी होता है कि जब हम ग्लूकोमीटर से शुगर नापते हैं तो उंगली में सुई लगा के वहां से ब्लड लेते हैं और फिर नापते हैं, जबकि लैब में हमारी बांह की नस से निकाला हुआ ब्लड होता है. उंगली से कैपिलरी ब्लड निकलता है और नस से वीनस ब्लड निकलता है, दोनों में थोड़ा अंतर हो सकता है लेकिन अगर डायग्नोसिस कराना है तो लेबोरेटरी में जाकर जांच कराएं वह पूरी तरह सही जानकारी देता है, जबकि अगर शुगर पहले से है और सिर्फ मॉनिटरिंग करनी है तो घर पर ग्लूकोमीटर से जी जांच लें.
5. सवाल- व्यक्ति को घर पर कितने बार शुगर जांचना चाहिए? जवाब- व्यक्ति को घर पर कितने बार शुगर की जांच करनी है, यह उसकी बीमारी की गंभीरता, उसके लक्षणों, कॉम्प्लिकेशंस, उम्र आदि पर निर्भर करता है. फिर भी खाली पेट और नाश्ते के बाद दो बार जांच करने के लिए कहा जाता है.
.Tags: Diabetes, Health News, Lifestyle, Sugar, Trending newsFIRST PUBLISHED : February 20, 2024, 20:33 IST
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