श्रीराम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल पर बन रही है बायोपिक, कहा- जजमेंट जो लेकर बहुत प्रेशर था

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श्रीराम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल पर बन रही है बायोपिक, कहा- जजमेंट जो लेकर बहुत प्रेशर था



हाइलाइट्सश्रीराम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल पर बायोग्राफी बन रही हैमेरठ कॉलेज पहुंचे सुधीर अग्रवाल ने कहा कि दबाव था कि अयोध्या मामले को लेकर फैसला न दिया जाएमेरठ. श्रीराम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल पर बायोग्राफी बन रही है. बायोपिक की शूटिंग के सिलसिले में मेरठ कॉलेज पहुंचे सुधीर अग्रवाल ने कहा कि दबाव था कि अयोध्या मामले को लेकर फैसला न दिया जाए. श्रीराम जन्मभूमि मामले में 30 सितम्बर 2010 को फैसला सुनाया गया था. पूर्व जस्टिस ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के फैसले के कारण उनकी पहचान बनी. अगर ये मामला तय नहीं होता तो ये अभी दो सौ साल और चलता.

उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर उन्होंने दो साल लगातार 18 से 20 घंटे काम किया. पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल अयोध्या मामले पर दिए फैसले को याद करते हुए कहते हैं कि तारीख पर तारीख मिलने से लोग निराश होते हैं. इसलिए उनका मानना था कि मुकदमों का तय होना ज़रुरी है. वो कहते हैं कि उन्हें बहुत कठोर जज माना जाता था. फैसले को लेकर याद करते हुए वो कहते हैं कि जब अयोध्या बेंच के नॉमिनेशन की बात हो रही थी तो उस वक्त चीफ जस्टिस ने पूछा था कि आपको इस मामले में नॉमिनेट करना चाहते हैं, क्या आपको कोई आपत्ति है? तो उन्होंने कहा था कि अगर वो एपॉयंट होंगे तो ये केस तय करेंगे. जवाब में उस वक्त चीफ जस्टिस ने कहा था कि ब्रदर ये बड़ा सेंसिटिव मामला है.

पूर्व जस्टिस याद करते हुए कहते हैं कि प्रेशर था कि फैसला न दिया जाए, लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वो मानें नहीं. फैसला सुनाते वक्त उन्हें कोई टेंशन नहीं थी. बायोग्राफी के पार्ट में और खुलासा होगा. पूर्व जस्टिस सुधीर अग्रवाल पर बन रही बायोपिक 14 जुलाई को रिलीज़ होगी. बायोपिक में पूर्व जस्टिस ने गीत भी गाया है.

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पूर्व जस्टिस कहते हैं कि फैसले के बाद जब वो पहली बार चेन्नई और नार्थ ईस्ट गए तो जनता का रिस्पॉंस गज़ब था. लोग उनके पैर छूने लगे और धन्यवाद देने लगे. ये बताता है कि राम हमारे जीवन में अंदर तक समाए हुए हैं. वो कहते हैं कि उन्होंने एक लाख चालीस हज़ार केस तय किए हैं. लेकिन अयोध्या मामले पर फैसला सबसे यादगार रहा. सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों के स्तर को सुधारने के लिए उनके फैसले की बहुत चर्चा हुई थी. पूर्व जस्टिस ने फैसला सुनाया था कि अगर कलेक्टर और चपरासी का बच्चा एक साथ पढ़ेगा तो समानता होगी और सरकारी स्कूल का स्तर सुधरेगा. सरकारी अस्पतालों को लेकर उन्होंने फैसला दिया था कि सरकारी अधिकारी का ट्रीटमेंट जब ऐसे हॉस्पिटल में होगा तो स्तर सुधरेगा. भ्रष्टाचार को लेकर भी उनका फैसला बेहद महत्वपूर्ण था. शंकराचार्य को लेकर भी उनका फैसला याद किया जाता है.
.Tags: Meerut news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : June 03, 2023, 10:10 IST



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