Shani Ki Mahadasha Kya Hai: ज्योतिष शास्त्र मे नौ ग्रहों की महादशा का विशेष महत्व होता है. किसी महादशा का समय अंतराल बहुत ज्यादा होता है तो किसी का बहुत कम होता है. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि कर्म फल और न्याय के दाता शनि ग्रह की महादशा के बारे में, जिसका असर मनुष्य के ऊपर 19 सालों तक रहता है.
जन्म कुंडली में शनि देव का प्रभावदरअसल अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि अगर व्यक्ति के जन्म कुंडली में शनि देव अशुभ स्थिति विराजमान है, तो व्यक्ति को आर्थिक अथवा मानसिक रूप से कई तरह की परेशानियां आती हैं. साथ ही शनि नकारात्मक हो तो साडेसाती और ढया भी रहती है. अगर शनि देव कुंडली में शुभ स्थिति होती है तो व्यक्ति को कई तरह की सुख और धन दौलत की प्राप्ति भी होती है .
हर किसी के जीवन में होती थी शनि की महादशा ज्योतिष गणना के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में शनि की महादशा होती है. शनि की महादशा कैसा फल देता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि शनि व्यक्ति की कुंडली पर कैसे विराजमान है. अगर शनि जन्म कुंडली में नीच स्थिति में है तो व्यक्ति को शनि की महा दशा मानसिक और धन को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर शनि देव कुंडली में सूर्य ग्रह के साथ स्थित है तो पैसों की हानि भी मानी जाती है.
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शनि देव की सकारात्मक स्थिति शनि देव अगर सकारात्मक स्थिति में है, तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में उच्च अथवा शुभ विराजमान है. तो शनि की महादशा में व्यक्ति को आकस्मिक धन लाभ भी होता है. साथी धन दौलत में वृद्धि भी होती है. व्यक्ति लोकप्रिय होता है. कारोबार में मुनाफा होता है.
Tags: Astrology, Local18FIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 16:37 ISTDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.