Sanket Mahadev: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के लिए वेटलिफ्टर संकेत महादेव ने 55 किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता है. इसी के साथ संकेत इस साल कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की ओर से कोई भी मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने. संकेत का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ रहा है. संकेत बेहद गरीब परिवार से हैं और उनकी कामयाबी के पीछे परिवार का बड़ा हाथ रहा है.
पान की दुकान चलाते हैं पिता
कॉमनवेल्थ में भारत के मेडल टेली का खाता खोलने वाले संकेत अबतक काफी साधा जीवन जीते आए हैं. संकेत के पिता की सांगली में एक पान की दुकान है. संकेत कोल्हापुर के शिवाजी यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के छात्र हैं. वह इससे पहले खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 में भी अपनी कैटेगरी के चैम्पियन रहे हैं. इंटरनेशनल लेवल पर संकेत का ये पहला बड़ा मेडल है.
Sangli, Maharashtra | “We’re very happy that he has won a silver medal for the country despite an elbow injury,” says sister and father of Weightlifter Sanket Sargar
Sanket Sargar won a silver medal in Men’s 55 kg weightlifting in #CommonwealthGames2022 pic.twitter.com/KdXVJw0hay
— ANI (@ANI) July 30, 2022
ऐसा रहा दुकान से पोडियम तक का सफर
सुबह साढ़े पांच बजे उठकर ग्राहकों के लिए चाय बनाने के बाद ट्रेनिंग, फिर पढ़ाई और शाम को फिर दुकान से फारिग होकर व्यायामशाला जाना, करीब सात साल तक संकेत की यही दिनचर्या हुआ करती थी. संकेत सरगर स्वर्ण पदक से महज एक किलोग्राम से चूक गए, क्योंकि क्लीन एंड जर्क वर्ग में दूसरे प्रयास के दौरान चोटिल हो गए थे.
सांगली की जिस ‘दिग्विजय व्यायामशाला’ में संकेत ने भारोत्तोलन सीखा था, उसके छात्रों और उनके माता-पिता ने बड़ी स्क्रीन पर संकेत की प्रतिस्पर्धा देखी. यह पदक जीतकर संकेत निर्धन परिवारों से आने वाले कई बच्चों के लिये प्रेरणास्रोत बन गए.
Exceptional effort by Sanket Sargar! His bagging the prestigious Silver is a great start for India at the Commonwealth Games. Congratulations to him and best wishes for all future endeavours. pic.twitter.com/Pvjjaj0IGm
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2022
कामयाबी के पीछे रहा पिता का हाथ
संकेत के पिता उधार लेकर उसके खेल का खर्च उठाते और हम उसकी खुराक और अभ्यास का पूरा खयाल रखते. कभी उनके पिता हमें पैसे दे पाते, तो कभी नहीं, लेकिन हमने संकेत के प्रशिक्षण में कभी इसे बाधा नहीं बनने दिया.
पिता की खुशी का नहीं कोई ठिकाना
खुद भारोत्तोलक बनने की ख्वाहिश पूरी नहीं कर सके संकेत के पिता महादेव सरगर का कहना है कि उनके जीवन के सारे संघर्ष आज सफल हो गए. उन्होंने सांगली से ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा ,‘मैं खुद खेलना चाहता था, लेकिन आर्थिक परेशानियों के कारण मेरा सपना अधूरा रह गया. मेरे बेटे ने आज मेरे सारे संघर्षों को सफल कर दिया. बस अब पेरिस ओलंपिक पर नजरें हैं.
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