मुरादाबाद : संभल में की जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर का विवाद इन दिनों चर्चा मे है. कोर्ट के आदेश पर रविवार को जामा मस्जिद में सर्वे होना था. इस दौरान मस्जिद के बाहर इकट्ठा हुई भीड़ ने जमकर पथराव किया. हिंसा के 2 दिन बाद संभल का जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है. स्कूल दोबारा खुल गए हैं और आवश्यक वस्तुओं की दुकानें भी खुलनी शुरू हो गईं है. तो वहीं इसी बीच सबके मन मे बस एक ही सवाल है कि आखिर इस हरिहर मंदिर या मस्जिद की सच्चाई क्या है?
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा पहला मंडल है जिसका गजेटियर लिखा गया है. अमूमन गजेटियर में ब्रिटिश काल से दर्ज अभिलेखों को दर्ज किया जाता है. लेकिन मुरादाबाद ने अपना इतिहास, अपनी संस्कृति का मानकों के आधार पर पुनर्लेखन किया और एक नया इतिहास लिख दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद मण्डल के गजेटियर- भाग 2 विमोचन भी कर दिया है.यह गजेटियर मुरादाबाद मंडल के द्वारा लांच किया गया है. इसके साथ ही इसी गजेटियर में मुरादाबाद मंडल के संभल जनपद में स्थित हरिहर मंदिर का भी जिक्र किया गया है.
आइन-ए-अकबरी’ में हरिहर मंदिर की चर्चागजेटियर में बताया गया कि अबुल फजल द्वारा रचित ‘आइन-ए-अकबरी’ में संभल में भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिर का उल्लेख है. संभल में पुराने शहर के मध्य में स्थित विशाल टीले (कोट अर्थात किला) पर भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर होने का प्रमाण है. संभल में पुराने शहर के मध्य में स्थित विशाल टीले, जिसे कोट (अर्थात् किला) कहा जाता है. इस टीले पर भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर हरि मंदिर था. इस मंदिर के निर्माण का श्रेय पृथ्वीराज चौहान अथवा राजा जगत सिंह अथवा बरन के डोड राजा विक्रम सिंह के परपोते नाहर सिंह को दिया जाता है. एच. आर. नेविल ने मुरादाबाद का गजेटियर (1911) में लिखा है.
क्या पेज 79 से खुलेगा राज?मुरादाबाद मंडल के गजेटियर के पेज 79 पर यह भी लिखा है कि ‘मंदिर अब अस्तित्व में नहीं है. इस मंदिर के स्थान पर मस्जिद बन गई है. भवन मुख्यतः पत्थर से निर्मित है. विशाल केंद्रीय डोम का निर्माण पत्थर से किया गया है. बाहरी दीवारें एवं पोर्च तथा विशाल प्रांगण की फर्श पत्थर से निर्मित है. कार्लाइल (Carlleyle) ने 1874 ई० में मस्जिद का निरीक्षण किया था. उनके मतानुसार डोम हिन्दू कारीगरी का प्रतिबिंब है. पूरे मस्जिद भवन पर प्लास्टर किया हुआ है. जिससे निर्माण सामग्री के विषय में सुनिश्चित मत असम्भव है. प्रखण्डों को खम्भों की कतार के माध्यम से दो गलियारों में बांटा गया है. प्रत्येक गलियारा तीन मेहराबदार निकासों के माध्यम से प्रांगण में खुलता है. दोनों तरफ से पत्थर की सीढ़ियाँ मस्जिद की छत तक ले जाती हैं.
मस्जिद की दीवारों पर है दर्ज है अभिलेखमुरादाबाद मंडल के गजेटियर खंड 2 के पेज 79 पर लिखा है कि मस्जिद की दीवारों पर अभिलेख दर्ज हैं. जिसके अनुसार मस्जिद का निर्माण हिन्दू बेग ने बाबर के आदेश पर 1526 ई० में कराया था. हालांकि मस्जिद बाबर के समय से पूर्व की प्रतीत होती है. मस्जिद का स्थापत्य बदायूं की जामा मस्जिद जैसी पठान इमारतों के समान है. मस्जिद के पश्चिमी छोर पर स्थित ढलानदार विशाल बुर्ज जौनपुर की इमारतों का स्मरण कराते हैं. भवन अत्यंत सादा एवं विशाल है. यदि भवन में हिंदू सामग्री का प्रयोग हुआ भी हो, सजावट दृष्टिगोचर नहीं होती. प्रांगण के मध्य में एक टैंक तथा फव्वारा है. जो द्वार के बाहर एक विशाल कूप से भरा जाता है. गजेटियर के मुताबिक, मस्जिद के दक्षिणी प्रखंड में मौजूद अभिलेख के अनुसार, रुस्तम खान दखिनी ने 1657 ई. में मस्जिद की मरम्मत करवाई. ऐसा ही अन्य अभिलेख उत्तरी प्रखंड में सैयद कुतुब (1626) के बारे में है. दो अभिलेख 1845 ई. के लगभग मस्जिद की मरम्मत का जिक्र करते हैं.
4 पुराणों में है जिक्रमुरादाबाद के वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. अजय अनुपम ने बताया कि हरिहर मंदिर का जिक्र मत्स्य पुराण, श्रीमद् भागवत, स्कंद पुराण तथा श्रीमद् भागवत पुराण इन चारों में स्पष्ट रूप से किया गया है. काफी समय से मंदिर बंद है बीच मे चर्चाएं उठाई गई है. पृथ्वीराज चौहान के समय में मैं इसकी बनने की संभावना देखता हूं. पौराणिक काल मे राजा ययाति ने संभल की स्थापना की थी. अनुमान है कि जब मंदिर बना होगा तो पृथ्वीराज चौहान के समय तक उसका स्वरूप बदल गया होगा. उसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने इसका जीर्णोद्धार किया. इस प्रकार का सकते हैं कि पृथ्वीराज चौहान के समय में ही इस मंदिर को स्वरूप मिला.
Tags: Local18, Moradabad News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 14:48 IST