लखनऊ. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन (Ahmed Hasan) के बाद उनकी पत्नी का भी निधन हो गया है. वहीं, एक ही दिन में दो लोगों के निधन से परिवार सदमे में है. जानकारी के मुताबिक, अहमद हसन की पत्नी नजमा को लोहिया संस्थान में 10 दिन पहले कोमा की स्थिति में भर्ती कराया गया था. इससे पहले वह लखनऊ के गोमती नगर के एक निजी अस्पताल भर्ती थीं. बहरहाल, पति और पत्नी दोनों एक अस्पताल में भर्ती थे और दोनों एक ही दिन इस दुनिया को छोड़कर चले गए.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद हसन का आज यानी शनिवार को 88 साल की उम्र में निधन हुआ है. वह सपा में राजनीति शुरू करने से पहले पुलिस अफसर थे. हसन डिप्टी एसपी के पद पर वे भर्ती हुए थे और बाद में आइपीएस बने थे. यही नहीं, मुलायम सिंह और अखिलेश सरकार में वे कैबिनेट मंत्री भी रहे. जबकि वह अम्बेडकरनगर के रहने वाले थे.
जानें कौन थे अहमद हसनअहमद हसन का जन्म 2 जनवरी 1934 को हुआ था. 8 मई 1959 को वे यूपी पुलिस में डिप्टी एस पी बने थे. इसके बाद 31 जनवरी 1992 वे प्रमोट होकर आइपीएस बन गये थे. 1992 में उन्होंने कानपुर में डिप्टी चीफ विजिलेंस अफसर के पद पर तैनात रहे. 1994 को अहमद हसन रिटायर हो गये. रिटायरमेंट के तुरंत बाद ही अहमद हसन समाजवादी पार्टी से जुड़ गये. तीन सालों तक पार्टी में सेवा देने के बाद अहमद हसन पहली बार 31 जनवरी 1997 को विधानस परिषद के सदस्य बने. यानी पहली बार विधायक बने. दूसरी बार 31 जनवरी 2003 को समाजवादी पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद के सदस्य बने. तीसरी बार 31 जनवरी 2009 को फिर से समाजवादी पार्टी से एमएलसी बने. पहली बार इसी कार्यकाल में 6 फरवरी 2009 में विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के नेता बनाये गये. चौथी बार 31 जनवरी 2015 को फिर सपा से एमएलसी बने. 23 जनवरी 1998 से 29 अगस्त 2003 तक विधान परिषद में नेता विरोधी दल मनोनीत किये गये. अहमद हसन पहली बार मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री बनाये गये. 6 अक्टूबर 2003 को वे परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री बनाये गये. इसके बाद 15 मार्च 2012 को जब अखिलेश यादव की सरकार बनी तो अहमद हसन चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं मातृ शिशु कल्याण मंत्री बनाये गये. इसके बाद उन्हें बेसिक शिक्षा मंत्री भी बनाया गया. यानी जब से वे सपा के साथ आये तब से लेकर वे लगातार एमएलसी बने रहे. इस दरम्यान वे दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे. 28 मार्च 2017 से वे विधान परिषद में नेता विरोधी दल थे.
विधान परिषद में एमएलसी रहते वे तीन बार नेता विरोधी दल रहे. पहली बार 23 जनवरी 1998 से लेकर 28 अगस्त 2003 तक रहे. फिर 19 मई 2007 से 16 मार्च 2012 और तीसरी बार 28 मार्च 2017 को नेता विरोधी दल बने थे. विधान परिषद में उनका कार्यकाल 2027 तक था. 2021 में वे फिर से एमएलसी बने थे. उनका 28 साल का राजनीतिक सफर रहा है. जबकि उनके दो बेटे और पांच बेटियां हैं.
अहमद हसन का इटावा से रहा है खास संबंधबता दें कि राजनीति में आने से पहले अहमद हसन समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाले जिले इटावा में एसपी के तौर पर तैनात हुआ करते थे. वह इटावा में पुलिस अधीक्षक के तौर पर 5 जून 1976 से 10 जून 1979 तक तैनात रहे थे. उस समय कांग्रेस पार्टी की सरकार हुआ करती थी और इटावा में मुलायम सिंह यादव समेत दर्जनों समाजवादियों का बोलबाला हुआ करता था. यही नहीं, जिस वक्त अहमद हसन इटावा में एसपी के तौर पर तैनात हुआ करते थे उस समय मुलायम सिंह यादव से उनकी जबरदस्त पेशबंदी हुआ करती थी. दरअसल 25 जून 1975 को आपातकाल लागू किया गया था. इस दौरान मुलायम सिंह यादव समेत सैकड़ों की तादाद में छोटे बड़े राजनेताओं की गिरफ्तारियां की गई थीं. यह सब इटावा पुलिस कप्तान अहमद हसन की अगुवाई में ही की गई थीं.
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