Sakshi Malik Birthday life struggle story rio olympics medal Brij Bhushan Sharan Singh controversy | ‘अंगारों’ पर चलने जैसा सफर, ‘9 सेकंड’ ने बदल दी किस्मत, दिग्गज रेसलर की रोमांचक कहानी

admin

Sakshi Malik Birthday life struggle story rio olympics medal Brij Bhushan Sharan Singh controversy | 'अंगारों' पर चलने जैसा सफर, '9 सेकंड' ने बदल दी किस्मत, दिग्गज रेसलर की रोमांचक कहानी



Sakshi Malik Birthday Life Struggle Story: हरियाणा के रोहतक में जन्मी साक्षी मलिक ने भारतीय महिला रेसलिंग में एक नई क्रांति ला दी. फिल्म ‘दंगल’ में फोगाट बहनों की कहानी से तो आप सभी परिचित होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साक्षी मलिक का सफर भी उतना ही चुनौतीपूर्ण रहा? एक छोटे से गांव में जन्मी साक्षी के माता-पिता चाहते थे कि वह एक सामान्य जीवन जीए, लेकिन साक्षी के मन में रेसलिंग का जुनून था. अपने दादा सुबीर मलिक से प्रेरित होकर साक्षी ने इस खेल को अपना लक्ष्य बना लिया.
12 साल की उम्र में शुरू की मेहनत
समाज के रूढ़िवादी विचारों के बावजूद साक्षी ने रेसलिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया. 12 साल की उम्र से ही उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी. रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर उन्होंने न सिर्फ भारत का नाम रोशन किया, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं.
रियो ओलंपिक का ऐतिहासिक पल
रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल के लिए हुए मुकाबले में साक्षी मलिक आखिरी कुछ सेकंडों में पीछे थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक जबरदस्त वापसी करते हुए भारत को पहला ओलंपिक मेडल दिलाया. यह जीत न सिर्फ साक्षी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक यादगार पल था. रियो ओलंपिक 2016 के क्वार्टर फाइनल में उनका सामना रूस की पहलवान से हुआ, लेकिन साक्षी को हार झेलनी पड़ी. यहां भारत के हाथ से बड़ा मौका लगभग फिसल चुका था, लेकिन रेसलिंग के नियमों के मुताबिक रेपेचेज के जरिए दूसरे राउंड में उन्हें खेलने का मौका मिला.
ये भी पढ़ें: Sumit Antil: बचपन में पिता को खोया, फिर सड़क हादसे में गंवाया पैर, 2 गोल्ड जीतने वाले सुमित के संघर्ष की कहानी
9 सेकंड में बदल गई सारी कहानी
ब्रॉन्ज के लिए उतरीं भारतीय पहलवान का यह मुकाबला भी काफी चुनौतीपूर्ण था. वह आखिरी मिनटों में कजाकिस्तान की पहलवान से काफी पीछे चल रही थी. पहले राउंड में वह 0-5 से पिछड़ गई थीं और खाता भी नहीं खोल सकी थीं. हालांकि, उन्होंने मैच खत्म होने से चंद मिनट पहले जोरदार खेल दिखाया और स्कोर 5-5 से बराबर कर दिया. इसके बाद आखिरी के 9 सेकंड में साक्षी मलिक ने फिर से अपना जौहर दिखाते हुए विरोधी पहलवान को धूल चटा दी और दो अहम अंक हासिल कर ओलंपिक मेडल भारत की झोली में डाल दिया. इस तरह वो ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनीं.
ये भी पढ़ें: ​Paralympics Medal Tally: पेरिस से खुशखबरी…1 ही दिन में भारत ने जीते 8 मेडल, जान लीजिए मेडल टैली का हाल
साक्षी ने जीते ये मेडल्स
इसके अलावा इस पहलवान ने अपने करियर में कई और भी मेडल हासिल किए हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में सिल्वर और 2018 में ब्रॉन्ज अपने नाम किया. वहीं, एशियन चैंपियनशिप 2015 में 60 किलोग्राम भार वर्ग में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता. 2017 में उन्होंने भारत में हुई एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया. इसके अलावा साल 2018 और 2019 की एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार भी मिला था
2017 में भारत सरकार ने साक्षी को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया. उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से भी सम्मानित किया गया था. 2024 में, वह टाइम पत्रिका की दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल होने वाली पहली भारतीय पहलवान बनीं.
ये भी पढ़ें: किसी के पैर नहीं तो किसी ने गंवाए दोनों हाथ…पैरालंपिक के 15 मेडल विनर्स, भावुक कर देंगी 15 कहानियां
सुखद करियर का खराब अंत
साक्षी मलिक का सफर जितना यादगार रहा उससे कई ज्यादा बुरा इसका अंत था. पिछले साल भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ भारतीय पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के बड़े नामों में से एक साक्षी मलिक ने रेसलिंग से अचानक संन्यास का फैसला लिया. दरअसल, पिछले डेढ़ साल से अपने साथी पहलवानों विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के साथ यौन उत्पीड़न मामले को लेकर वो संघर्ष कर रही हैं. दिसंबर 2023 में हुए चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के पाले के व्यक्ति संजय सिंह नए अध्यक्ष चुने गए. इसके तुरंत बाद साक्षी ने प्रेस कांफ्रेंस में हमेशा के लिए रेसलिंग छोड़ देने का ऐलान कर दिया.



Source link