सैकड़ों साल पुराने इस माता के मंदिर का दुर्गा सप्तशती में है वर्णन, यहां दर्शन से भर जाती है झोली!

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सैकड़ों साल पुराने इस माता के मंदिर का दुर्गा सप्तशती में है वर्णन, यहां दर्शन से भर जाती है झोली!



सनन्दन उपाध्याय/बलिया: नवरात्रि के पावन अवसर पर जहां देखो वहां माता की जय जयकार हो रही है. हर कोई इस पावन अवसर पर मां के भक्ति में डूब चुका है. कहीं पंडाल सज रहा है तो कहीं महिलाएं गीत के रूप में माता की भजन कर रही हैं. मानो यह तस्वीर हर किसी को भक्ति में सराबोर कर रही है. आइए इस पावन अवसर पर हम आपको उस सच्चे दरबार की तरफ ले चलते हैं. जिससे लाखों लोगों की आस्था जुडी हुई है. इस भवानी का महिमा अपरंपार है.

मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्तों की मुरादे पूरी होती है. आज तक जो इस सच्चे मन से  दरबार में आया वह कभी खाली नहीं गया. माता ने हर किसी की झोली भर दिया. यह सच्चा दरबार दुर्गा सप्तशती में भी वर्णित है. जी हां यही है शांकरी भवानी जिनके नाम पर इस क्षेत्र का ही नाम शंकरपूर पड़ गया. मंदिर समिति के प्रबंधक विजय प्रताप तिवारी बताते हैं कि यह मंदिर त्रेता युग का है. इसकी कहानी राजा सूरथ से जुड़ी है. दुर्गा सप्तशती में भी यह दरबार वर्णित है. यहां भक्तों की सभी मुरादे पूरी होती हैं. आज तक इस दरबार से कोई खाली नहीं गया माता ने हर किसी की झोली भर दिया.

ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण… रोचक है कहानीमन्दिर के समीप स्थित सुरहा ताल में अपने जीवन का अधिकतर समय राजा सूरथ ने व्यतीत किया. उसी के दौरान उन्होंने इसके आसपास पांच मंदिरों का निर्माण कराया. यह मां भवानी आप रूपी प्रकट होकर राजा सूरत को दर्शन दिया था. आज से लगभग 500 वर्ष पहले यहां के पूर्वजों को यह काफी सीमित क्षेत्र में एक छोटा सा मंदिर के रूप में मिला. जब पूजा याचना होने के साथ ही लोगों की मनोकामना पूरी होती गई तो उसी के साथ मंदिर भव्य रूप में परिवर्तित हो गया. यहां आने वाले हर भक्तों की मां मुरादें पूरी करती हैं.

दुर्गा सप्तशती में वर्णित है सच्चा दरबारत्रेतायुग में रघुवंशी राजा सूरथ के द्वारा निर्माणित इस शांकरी भवानी का वर्णन दुर्गा सप्तशती में भी इस प्रकार, शङ्खिनी चक्षुषोर्मध्ये श्रोत्रयोर्द्वारवासिनी। कपोलौ कालिका रक्षेत् कर्णमूले तु शांकरी॥ से वर्णित है. इसी शांकरी भवानी के नाम पर इस क्षेत्र का नाम शंकरपुर पड़ा. इसी क्षेत्र के पास एक ताल भी है. जिसको सुरहा ताल के नाम से जाना जाता हैं. यहीं पर राजा सूरत को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी. उसी के दौरान ही राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया.

ये बोले मंदिर में श्रद्धालुनवरात्रि के पावन अवसर पर इस सच्चे दरबार में दर्शन पूजन करने आए तमाम श्रद्धालुओं (नीलम श्रीवास्तव, ज्ञानी चौधरी और अजीत कुमार तिवारी) ने News 18 से बातचीत करते हुए कहा कि यह मत पूछिए कि यहां आने पर क्या मिलता है? और क्या मिला है?. यह पूछिए कि यहां क्या नहीं मिला है?. इस दरबार में आने के बाद कोई खाली लौटता ही नहीं. जिस किसी ने सच्चे मन से एक बार इस सच्चे दरबार में जो कुछ भी मांगा मां ने उसकी हर मुरादे पूरी कर दी. तमाम श्रद्धालुओं ने कहा कि आज माता की कृपा है. कि घर परिवार में सुख शांति धन दौलत के साथ हर चीज से संपन्न है. सच्चे मन से मांगी गई मुरादे यहां जरूर पूरी होती हैं.
.Tags: Hindi news, Local18, Navratri, Religion 18FIRST PUBLISHED : October 18, 2023, 16:54 IST



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