रिपोर्ट – निखिल त्यागी
लखनऊः खेती किसानी को अब परम्परागत तरीके से अलग अब आधुनिक रूप से करना पसंद किया जाने लगा है. इसमें भी विभिन्न तरीके की फसलें, बागवानी, फूल आदि को उगाया जाने लगा है. फूलों की यदि बात करें तो जरबेरा प्रजाति का फूल शादी समारोह आदि में सजावट के लिए काफी पसंदीदा है. सहारनपुर के फारेस्ट विभाग के आदित्य त्यागी ने जरबेरा फूल को तैयार करने के लिए पोली हाउस तकनीकी का प्रयोग कर अच्छी आमदनी ले रहे है.
सहारनपुर के रहने वाले आदित्य त्यागी उत्तराखंड में फॉरेस्ट रेंजर की पोस्ट से रिटायर होने के बाद वापस अपने गांव में आकर खाली रहना पसंद नहीं करते थे. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले आदित्य त्यागी खेती करने के नए नए आइडिया खोजते रहते थे. जब आदित्य त्यागी अपने बेटे के पास इटली गए तो उन्होंने वहां नई तकनीकी से खेती करते लोगों को देखा और जानकारी जुटाई. वहीं से आदित्य को जरबेरा फूल की खेती करने का आईडिया मिला.
खेती करने से शुरुआती लागत बहुत ज्यादा
आदित्य ने बताया इस फूल की खेती करने से शुरुआती लागत बहुत ज्यादा आती है. 4000 स्क्वायर मीटर के एरिया में पोली हाउस बनाने के लिए 60 लाख का खर्च आ जाता है. जिसके लिए सरकार 50% का अनुदान भी देती है आदित्य ने बताया कि 60 लाख की लागत से उन्होंने जरबेरा फूल की खेती शुरू की. जिसमें आदित्य ने 30 लाख का बैंक से लोन भी लिया आदित्य ने बताया कि अब वह जरबेरा फूल की खेती कर 8 9 लाख रुपए सालाना आमदनी ले रहे हैं. साथ में 5 लोगों को इस काम से रोजगार भी दे रहे हैं.
जरबेरा की खेती है मुनाफ़े का सौदा
जरबेरा प्रजाति के लोकप्रिय फूल को शादी समारोह की सजावट, गुलदस्ते बनाने, ऑफिस, रेस्टोरेंट और होटल में सजावट के लिए प्रयोग में लाया जाता है. जिसकी वजह से जरबेरा के फूलों की बाजार में अच्छी मांग होती है. जरबेरा की खेती से किसानो के लिए बहुत अच्छी आमंदनी का स्रोत माना जाता है. जरबेरा की खेती में कम लागत लगाकर किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है.
जरबेरा की खेती की खेती कैसे करें?
जरबेरा फूल की खेती के लिए भारत के कई प्रदेशों की जलवायु अनुकूल है. उष्णकटिबंधीय जलवायु में इस फूल की खेती किसान खुले मैदान में कर सकते हैं। इसकी खेती ग्रीन हाउस या पॉली हाउस में भी की जा सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार जरबेरा की खेती के लिए दिन का तापमान 20 से 25 डिग्री और रात में 12 से 15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. जरबेरा के फूलों की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली लाल लेटराइट मिट्टी को आदर्श मिट्टी माना जाता है.
जरबेरा की रोपाई का अनुकूल समय
जरबेरा फूल की खेती के लिए किसनो को इसकी रोपाई के समय का भज विशेष ध्यान रखना होगा. जरबेरा के फूलों की खेती की रोपाई किसान जनवरी से मार्च, जून से जुलाई तथा नवंबर और दिसंबर में कर सकते हैं.
ऐसे करें जरबेरा फूल की तुड़ाई
जरबेरा फूल का पौधा रोपाई के करीब 3 महीने बाद ही फूल देना शुरू कर देता है. लेकिन शुरूआत में फूल अच्छी गुणवत्ता के नहीं निकलते. इसलिए फूलों की तुड़ाई रोपाई के करीब 90 दिन बाद ही करनी चाहिए. इस प्रजाति के जरबेरा फूल की कटाई सुबह या शाम को ही करनी चाहिए. ताकि फूल की गुणवक्ता और चमक बनी रहे. जरबेरा की कटाई के बाद फूलों को साफ पानी की बाल्टी में रखा जाता है.
यह फूल बहुत नाजुक होते है इसलिए इसको सावधानी पूर्वक तोड़ना चाहिए. जरबेरा का एक पौधे से प्रति वर्ष करीब 45 फूल का उत्पादन होता है. जरबेरा के फूलों की ज्यादातर मांग शादियों के सीजन में जनवरी, फरवरी, मई, अगस्त, नवंबर और दिसंबर माह में अधिक होती है. जरबेरा के फूलों की मांग दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बंगलौर, कोलकाता आदि बाजारों में अधिक है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Saharanpur news, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : April 19, 2023, 19:43 IST
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