मिर्जापुर : जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का. इस कहावत को सही साबित किया है मिर्जापुर के 2 बेटों ने. इन 2 बेटों ने अपने पिता को पैसे के लिए संघर्ष करता हुआ देखकर बचपन में ही बड़ा फैसला लिया था. बड़े भाई का सपना डॉक्टर बनने का था, जबकि छोटे भाई इंजीनियर बनाना चाहता था. दोनों भाइयों ने कड़ी मेहनत की और अंततः अपने सपनों को साकार किया. छोटे भाई उत्कर्ष शुक्ला का चयन आईआईटी गोवा में हुआ है, जबकि बड़े भाई आर्यन शुक्ला का चयन मेडिकल कॉलेज सुल्तानपुर में हुआ है. पिता बेहद खुश हैं और मां खुशी के मारे भावुक हो रही हैं.
मिर्जापुर जिले के अनुरुद्धपुर पूरब पट्टी पखवैया गांव के निवासी वेद प्रकाश शुक्ला की कपड़े की दुकान है और उनकी पत्नी रेनू शुक्ला गृहणी हैं. सीमित आय के बावजूद उन्होंने अपने दोनों बेटों उत्कर्ष और आर्यन को अच्छी शिक्षा दी. छोटे बेटे उत्कर्ष का सपना इंजीनियर बनने का था और बड़े बेटे आर्यन का सपना डॉक्टर बनने का. दोनों ने कड़ी मेहनत की, जिसके परिणामस्वरूप छोटे भाई को आईआईटी गोवा में दाखिला मिल गया है और बड़े भाई आर्यन को सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला है.
चौथे प्रयास में मिली सफलताआर्यन शुक्ला ने बताया कि उन्होंने नीट परीक्षा में तीन बार असफलता का सामना किया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. हर बार असफल होने के बाद, उन्होंने अपनी कमियों को दूर किया और चौथे प्रयास में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज सुल्तानपुर में दाखिला पाने में सफल रहे. दोनों भाई बेहद खुश हैं, क्योंकि छोटे भाई का सपना था इंजीनियर बनने का और मेरा सपना था डॉक्टर बनने का.
उम्मीद से कठिन थी प्रतियोगिताआर्यन ने बताया कि उनका रोज़ाना 6 से 7 घंटे का क्लास होता था, जिसके बाद वे घर पर एक से दो घंटे की रिवीजन और टेस्ट देते थे. पहली बार जब परीक्षा दी तो यह महसूस हुआ कि प्रतियोगिता उम्मीद से अधिक कठिन है, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इसे समझने में आसानी हुई. सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि घर से कोई दबाव नहीं था. माता-पिता ने हर असफलता के बाद जीत के लिए प्रेरित किया.
बच्चों पर न डालें दबावपिता वेद प्रकाश शुक्ला ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनके बच्चों ने प्रयास किया और कोई दबाव नहीं डाला. उन्होंने हमेशा बच्चों से कहा कि यदि मेहनत ईमानदारी से करोगे तो परिणाम जरूर मिलेगा. आज दोनों बच्चों को उनके मनचाहे कॉलेज में दाखिला मिल गया है. इससे बढ़कर कोई खुशी नहीं हो सकती.
हमारा सपना हुआ पूरामां रेनू शुक्ला ने बताया कि जब भी उनकी बेटों से बात होती थी, वे पढ़ाई के बारे में बात नहीं करती थीं. वे हमेशा मस्ती-मज़ाक करती थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि उनके बेटे मेहनत कर रहे हैं. आज उनका सपना पूरा हो गया और एक मां के लिए इससे बढ़कर खुशी और क्या हो सकती है.
Tags: Local18, Mirzapur news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 16:27 IST