Ready To Eat Foods: क्या आप रेगुलरली रेडी-टू-ईट या रेडी-टू-हीट फूड आइटम्स खाते हैं? तो सावधान हो जाएं. हाल ते एक ग्लोबल स्टडी में दिखाया गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (UPFs) का सेवन ऐसी मौतों का खतरा बढ़ा देता जो वक्त से पहले आ सकती है और उन्हें प्रिवेंट किया जा सकता है. पिछले अध्ययनों में यूपीएफ – सोडियम, ट्रांस फैट और शुगर से भरपूर भोजन को दिल की बीमारियों, मोटापा, डायबिटीज, कुछ खास तरह के कैंसर और डिप्रेशन सहित 32 अलग-अलग बीमारियों से जोड़ा गया है.
इन देशों में की गई स्टडीनए स्टडी में 8 देशों (ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चिली, कोलंबिया, मैक्सिको, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका) के नेशनल लेवल पर रिप्रेजेंटेटिव डाइट सर्वे और मृत्यु दर के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया. अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में छपी फाइंडिंग्स से पता चलता है कि इंसान की कुल ऊर्जा खपत में यूपीएफ की हिस्सेदारी के मुताबिक उनके सेवन के कारण होने वाली प्रीमैच्योर मौतें काफी बढ़ जाती हैं.
रेडी-टू-ईट फूड्स खतरनाकस्टडी हेल्दी एनवायरनमेंट को बढ़ावा देने वाली रेगुलेटरी और फिस्कल पॉलिसी द्वारा समर्थित, यूपीएफ कंजंप्शन को कम करने के लिए ग्लोबल एक्शन की बातों को मजबूत करता है. यूपीएफ रेडी-टू-ईट या रेडी-टू-हीट इंडस्ट्रियल फॉर्मूलेशन हैं जो फूड आइटम्स से निकाले गए या लैब में सिंथेसाइज्ड चीजों से बने होते हैं, जिनके स्ट्रक्टक में बहुत कम या कोई साबुत फूड आइटम्स नहीं होते हैं.
आर्टिफियल चीजों का इस्तेमालब्राजील के यूनिवर्सिटी ऑफ साओ पाउलो के लीड इंवेस्टिगेटर एडुआर्डो एएफ निल्सन (Eduardo AF Nilson) ने कहा, “यूपीएफ अहम पोषक तत्वों (सोडियम, ट्रांस फैट और शुगर) की हाई कंटेंट के निजी असर से परे सेहत को प्रभावित करते हैं क्योंकि इंडस्ट्रियल प्रॉसेसिंग के दौरान फूड आइटम्स में बदलाव और रंग, आर्टिफियल कलर और स्वीटनर, इमल्सीफायर और कई दूसरे एडिटिव्स और प्रोसेसिंग एड्स सहित आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंस का इस्तेमाल होता है, इसलिए यूपीएफ कंसंप्शन से जुड़े सभी कारणों से होने वाली मौतों का आकलन सेहत पर इंडस्ट्रियल फूड प्रोसेसिंग के ओवरऑल इफेक्ट का अनुमान लगाने की इजाजत देता है.”
मौत के करीब लाता हैटीम ने शुरू में यूपीएफ का डाइटरी शेयर और सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर के बीच एक लीनियर एसोसिएशन का अनुमान लगाया, ताकि डाइट में यूपीएफ की भागीदारी में हर 10 फीसदी का इजाफ सभी कारणों से होने वाली मृत्यु के जोखिम को 3 फीसदी तक बढ़ा दे. फिर, सभी देशों के लिए रिलेटव रिस्क और फूड कंसंप्शन के आंकड़ों (कोलंबिया में टोटल एनर्जी इनटेक का 15 फीसदी से लेकर अमेरिका में कैलोरी का 50 फीसदी से ज्यादा) का इस्तेमाल करके, उन्होंने एक मॉडल बनाया.
रिसर्च के नतीजेनतीजों का अनुमान है कि यूपीएफ की खपत के कारण सभी वजहों से होने वाली वक्त से पहले रोके जा सकने वाली मौतों का फीसदी कम यूपीएफ खपत वाले देशों में 4 फीसदी से लेकर सबसे ज्यादा यूपीएफ खपत वाले देशों में तकरीबन 14 फीसदी तक अलग हो सकता है. टीम ने चिंता जताई कि हाई इनकम वाले देशों में यूपीएफ की खपत, जो पहले से ही ज्यादा है, एक दशक से ज्यादा वक्त से रिलेटिवली स्टेबल है. दूसरी तरफ, लो और मिडियम इनकम वाले देशों में खपत लगातार बढ़ी है.
ताजे भोजन को दें तरजीहरिसर्चर्स ने कहा कि इसका मतलब है कि हाई इनकम वाले देशों में मौजूदा वक्त में संबंधित बोझ ज्यादा है, लेकिन दूसरे देशों में ये बढ़ रहा है. निल्सन ने कहा, “ये दिखाता है कि यूपीएफ की खपत को हतोत्साहित करने वाली नीतियों की ग्लोबल लेवल पर तुरंत जरूरत है, जो लोकल फ्रेश, और कम से कम प्रोसेस्ड फूड पर बेस्ड ट्रेडिशनल डाइटरी पैटर्न को बढ़ावा देती हैं.”
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.