लंकेश रावण भले ही सोने की लंका का आधिपति था लेकिन उसका जन्म उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित गांव बिसरख में हुआ था. यही वह गांव है जहां न केवल विश्वश्रवा के यहां रावण का जन्म हुआ था बल्कि रावण ने घनघोर तपस्या करके महादेव शिव को प्रसन्न कर लिया था. इसके बाद युवावस्था में वह कुबेर से सोने की लंका को बलपूर्वक हथियाने के लिए लंका रवाना हो गया था और आखिरकार लंकापति बन गया था.
आपने रामायण की कथा तो सुनी होगी, जिसमें आपने यह भी सुना होगा कि रावण युद्ध में राम के सामने आने से इतना नहीं घबराया था जितना कि हनुमान जी के लंका में प्रवेश करने से घबरा गया था और हनुमान जी की पूंछ में आग लगवा दी थी. उसी पूंछ से हनुमान जी ने पूरी लंका में कूदकूद कर आग लगा दी थी और सोने की लंका में तबाही मचा दी थी लेकिन लगता है कि हनुमान जी का यह डर आज भी रावण को है.
रावण के गांव बिसरख में शिवजी का मंदिर है. यह वही मंदिर है जहां रावण ने अष्टकोणीय शिवलिंग के सामने आराधना कर भगवान शिव की आराधना की थी और महाबलशाली बन गया था. इस मंदिर में एक तरफ शनिदेव की भी प्राचीन मूर्ति लगी हुई है, वहीं दीवारों पर रावण के चित्र बने हैं, लेकिन इसके सामने बने माता पार्वती के मंदिर में भगवान शिव, गणेश जी और भगवान शिव की प्रतिमाएं लगी हैं.
हनुमान जी पर चढ़ता है चोला, पढ़ा जाता है चालीसा बड़ा दिलचस्प है कि इस मंदिर में हनुमान जी की भी एक बड़ी प्रतिमा लगी है. इस प्रतिमा पर हर मंगलवार को चोला चढ़ाया जाता है. हनुमान जी की आराधना की जाती है और सुंदरकांड का पाठ होता है. खास बात है कि आमने सामने बने इन मंदिरों में रावण की आरती नहीं गाई जाती बल्कि हनुमान जी का चालीसा पढ़ा जाता है.
गांववासी दुर्गा देवी बताती हैं कि हादसे और अनहोनी की आशंका से रावण के गांव में न तो रामलीला होती है और न ही रावण का दहन किया जाता है. यहां लोग रावण को बेटा मानते हैं और राम को भी मानते हैं लेकिन यहां कभी रामायण का पाठ नहीं कराया जाता हालांकि लोग हनुमान चालीसा का खूब पाठ करते हैं. यहां हनुमान जी को चोला भी चढ़ाते हैं.
राम और रावण की नहीं हैं प्रतिमाएं दिलचस्प बात है कि रावण के गांव में हनुमान जी तो विराजमान हैं लेकिन कहीं भी राम की प्रतिमा नहीं है. वहीं रावण की भी कोई प्रतिमा नहीं है, जिसकी पूजा की जाए. सिर्फ मंदिर की दीवारों पर रावण की जीवनगाथा बताती हुई नक्काशियां बनी हुई हैं.
.Tags: Hanuman Chalisa, Ravana Dahan, Ravana Dahan Story, Ravana effigy, Ravana MandodariFIRST PUBLISHED : October 27, 2023, 19:04 IST
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