अंजू प्रजापति/रामपुर: भारत के प्रसिद्ध रामपुरी चाकू की कला 125 साल पुरानी है. रामपुरी चाकू यहां के कारीगरों की अनूठी पहचान रहा है. ऑटोमैटिक राइफल और दूसरे आधुनिक हथियारों के इस दौर में हाथ से बने रामपुरी चाकू का पूरी दुनिया में कोई मुकाबला नहीं. 60 और 70 के दशक की फिल्मों में विलेन्स के हाथ मे अक्सर दिखने वाले रामपुरी चाकू को खूब शौहरत मिली. एक वक्त ऐसा भी आया की जब इस चमचमाते चाकू की चमक गायब हो गई. कारीगरों ने अलग-अलग शहरों में जाकर दूसरे धंधे अपना लिए.
चाकू कारोबारी शहजाद आलम बताते हैं कि अपराधी प्रवति के लोग इसका गलत इस्तेमाल करने लगे और दुनियां का सबसे पुराना हथियार चाकू को हिंसक प्रवृत्ति से जोड़कर देखा जाने लगा. इसके चलते नवाबों के समय से चली आ रही रामपुर की इस अद्भुत कला पर जंग लग गई. 90 के दशक में सरकार द्वारा इसे बैन कर दिया गया. हालांकि, प्रशासन ने दुनियां का सबसे बड़ा 20 फुट लंबा चाकू चौराह कि स्थापना कर उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है.
रामपुरी चाकू एक जिला एक उत्पाद में शामिलशहजाद आलम बताते हैं कि करीब 29 सालों से वे चाकू का कारोबार कर रहे है. इससे पहले उनके दादा और पिता जी इस कारोबार को करते थे. एक दौर में चाकू कारोबार में लगभग 5000 से अधिक कारीगर मौजूद थे. आज यह कारोबार करीब 2 से तीन कारीगर और दो दुकान में सिमट कर रह गया है. हालांकि, रामपुर में मौजूदा सरकार के रहते चाकू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए और रामपुरी चाकू को एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया गया.
कई प्रकार के चाकू रामपुर में बनते हैरामपुरी चाकू का पूरा साइज 10 इंच का होता है, जिसमें 5 इंच का ब्लेड और 5 इंच का हैंडिल होता है. ये इसका लीगल साइज है. खास बात है कि रामपुरी चाकू को मशीन से नहीं बनाया जाता है. रामपुरी चाकू भले ही बटन से खुलता हो लेकिन इसमें स्प्रिंग का इस्तेमाल नहीं होता है और ये पूरा हैंडमेड होता है. ये बटनदार चाकू बनाने का हुनर पूरी दुनिया में रामपुर के अलावा कही नहीं है. पीतल के बट, नक्काशीदार स्टील ब्लेड, लोहे के ब्लेड और मछली के डिजाइन व अलग-अलग डिजाइन वाले हैंडल समेत कई प्रकार के चाकू रामपुर में बनते है. रामपुरी चाकू की कीमत 400 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक होती है.
.Tags: Local18, Rampur newsFIRST PUBLISHED : March 18, 2024, 17:50 IST
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