Raj Bawa Father Sukhwinder Yuvraj Singh Cricket Coach Grandfather Tarlochan London Olympics Gold U19 World Cup| दादा ने जीता ओलंपिक गोल्ड, पापा ने युवराज सिंह को दी ट्रेनिंग, अब पोते ने क्रिकेट में गाड़े झंडे

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नई दिल्ली: आईसीसी अंडर 19 वर्ल्ड कप 2022 (ICC Under 19 World Cup 2022) में भारतीय बल्लेबाज राज बावा (Raj Bawa) ने तहलका मचा दिया. उन्होंने युगांडा के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर न सिर्फ भारत बल्कि अपने परिवार को नाम रोशन कर दिया.
राज ने तोड़ा धवन का रिकॉर्ड
राज बावा (Raj Bawa) ने 108 गेंदों का सामना करते हुए 14 चौके और 8 छक्के की मदद से 162 रन की नाबाद पारी खेली और उन्होंने  शिखर धवन (Shikhar Dhawan) के 18 साल पुराने  रिकॉर्ड को तोड़ डाला जो उन्होंने साल 2004 में बनाया था. ‘गब्बर’ ने स्कॉटलैंड के खिलाफ ढाका में 155 रनों की नाबाद पारी खेली थी, लेकिन अब राज बावा इससे आगे निकल चुके हैं.
परिवार से मिली प्रेरणा
राज बावा (Raj Bawa) को स्पोर्ट्स विरासत में मिली है उनके पिता सुखविंदर सिंह बावा (Sukhwinder Singh Bawa) क्रिकेट कोच रहे हैं जबकि दादा तरलोचन सिंह बावा (Tarlochan Singh Bawa) 1948 में लंदन ओलंपिक (London Olympics 1948) में गोल्ड जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे. 

‘दादा की सुनी हैं कहानियां’
राज बावा (Raj Bawa) ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि जब वो 5 साल के थे तब उनके दादा का निधन हो गया था. उन्होंने कहा, मेरे पास अपने दादाजी की बहुत यादें नहीं हैं. क्योंकि जब उनकी मृत्यु हुई, तब मैं काफी छोटा था. लेकिन मैंने अपनी दादी और अपने पिता से उनकी कहानियां सुनी हैं, जो हमेशा मेरे साथ रहेंगी.’

युवराज सिंह जैसा बनने की ख्वाहिश
राज बावा (Raj Bawa) को लेकर दिलचस्प बात ये है कि वो दाएं हाथ से गेंबाजी और बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं. उन्होंने युवराज सिंह को देखकर काफी कुछ सीखा है. राज ने कहा, ‘मैं अपने पापा के क्रिकेट क्लब में युवराज सिंह को प्रैक्टिस करते हुए देखता था. जब मैंने पहली बार बैट उठाया, तो शायद मैं उनको कॉपी करने की कोशिश कर रहा था, और फिर मैंने उन्हीं के स्टाइल में खेलने शुरू कर दिया. वो मेरे रोल मॉडल हैं.

क्यों पहनते हैं 12 नंबर की जर्सी?
राज बावा (Raj Bawa) ने बताया कि उन्होंने 12 नंबर की जर्सी इसलिए चुनी क्योंकि युवराज सिंह भी ऐसा करते थे. साथ ही राज ने बताया, ‘मैंने कई वजहों से नंबर 12 चुना. मेरे स्वर्गीय दादा का बर्थडे 12 फरवरी को है. युवराज सिंह भी 12 नंबर वाली जर्सी पहनते थे. उनका जन्मदिन 12 दिसंबर को है. मैं भी अपना बर्थडे 12 नवंबर को मनाता हूं,’

एक्टर बनने का भूत सवार था
राज बावा (Raj Bawa) बचपन में डांस और थिएटर के शौकीन थे, उनके पिता को लगता था कि बेटा क्रिकेटर के जगह एक्टर बनेगा, लेकिन फिर उनका मन बदल गया. पिता सुखविंदर सिंह ने कहा, ‘राज शुरुआत में क्रिकेट नहीं खेलता था. मैंने  उम्मीद छोड़ दी थी. मुझे लगा कि वो एक्टर बनेगा. राज की क्रिकेट में दिलचस्पी तब शुरू हुई, जब वो पहली बार अपने पापा के साथ धर्मशाला स्टेडियम गए. यहीं से उनके क्रिकेटर बनने की शुरुआत हुई.
जब राज ने जताई क्रिकेटर बनने की ख्वाहिश
सुखविंदर सिंह बावा (Sukhwinder Singh Bawa) ने बताया, ‘मैं कोच था और हम कुछ लोकल टूर्नामेंट खेलने के लिए धर्मशाला गए थे. टीम के प्रैक्टिस सेशन के बाद राज मेरे पास आया और कहा, पापा मैं भी क्रिकेटर बनना चाहता हूं. वह मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन था.’

पिता ने राज पर की कड़ी मेहनत
सुखविंदर सिंह ने आगे कहा, ‘मैं गुरुग्राम के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में तैनात था, जब मैंने पहली बार राज की स्पीड देखी थी. वो 11 साल का रहा होगा. मैं उस मैच में इस बात से इम्प्रेस था कि लेदर बॉल के साथ राज ने पहले ही मैच में 5 विकेट हासिल किए थे. फिर मैंने उनके बॉलिंग एक्शन और फॉलो थ्रू पर 1 साल काम किया. इसके बाद मैंने उसे बैटिंग पर फोकस करने को कहा और इसका नतीजा है कि वो ऑलराउंडर बन सका’
‘पापा की वजह से बना ऑलराउंडर’
राज बावा (Raj Bawa) ने अपने पिता का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘पापा को मेरे खेल के बारे में जानकारी थी. मैं नेचुरल फास्ट बॉलर था. इसलिए उन्होंने मुझसे बैटिंग पर फोकस करने को कहा. शुरुआत में मैं सिर्फ बल्लेबाजी पर ध्यान लगाता था और ऑफ स्पिन गेंदबाजी करता था. लेकिन विजय मर्चेंट ट्रॉफी के लिए पंजाब टीम का कैंप लगा था और इसी कैंप से मैंने दोबारा तेज गेंदबाजी शुरू की. लेकिन मैंने डैड को नहीं बताया. लेकिन बाद में पकड़ा गया. लेकिन पापा इससे खुश हुए और आज उनकी ही बदौलत मैं ऑलराउंडर बन पाया हूं.’



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