Railway की नौकरी के लिए मची होड़, RRB Group D के 32,438 पद पर 1.08 करोड़ आवेदन, हर सीट पर 300+ उम्मीदवार

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RRB Group D Application Form: रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) के जरिए जारी की गई CEN 08/2024 नोटिफिकेशन के तहत ग्रुप D लेवल की भर्तियों के लिए रिकॉर्डतोड़ 1.08 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया है. इससे ऐसा लगता है कि हर एक सीट पर 300 से अधिक उम्मीदवार हैं. इस भर्ती प्रक्रिया में भारतीय रेलवे के लेवल 1 के माध्यम से ट्रैक मेंटेनर ग्रेड-IV, पॉइंट्समैन और टेक्निकल असिस्टेंट (इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिग्नल और टेलीकम्युनिकेशन विभागों में) की नियुक्ति की जानी है.

सबसे अधिक अधिक मुंबई से आए आवेदनमुंबई RRB को इस बार सबसे अधिक 15.59 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिससे यह देशभर में टॉप पर रहा. इसके बाद चंडीगढ़ (11.60 लाख), चेन्नई (11.12 लाख), सिकंदराबाद (9.60 लाख) और प्रयागराज (8.61 लाख) जैसे क्षेत्रों ने भी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को आकर्षित किया.

क्षेत्रवार आवेदन आंकड़े (चयनित डेटा)RRB ज़ोन प्राप्त आवेदनमुंबई- 15,59,100चंडीगढ़- 11,60,404चेन्नई- 11,12,922सिकंदराबाद- 9,60,697प्रयागराज- 8,61,666कोलकाता- 7,93,572अहमदाबाद- 6,39,269भोपाल- 4,51,096बिलासपुर- 4,32,897

सीमित सीटें, असमान कंपटीशनइस भर्ती अभियान में कुल 32,438 रिक्त पद ही उपलब्ध हैं. जब इतने सीमित पदों के लिए 1 करोड़ से अधिक आवेदन आते हैं, तो यह कंपटीशन अधिक कठिन बना देता है. उम्मीदवारों को अब कड़ी मेहनत के साथ-साथ रणनीतिक तैयारी की भी ज़रूरत होगी.

बेरोजगारी दर में गिरावट, लेकिन चुनौतियां बनी रहींराष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में जारी आंकड़ों के अनुसार, शहरी बेरोजगारी दर 6.4% तक गिर चुकी है, जो हाल के वर्षों में सबसे कम है. हालांकि, रोजगार की गुणवत्ता को लेकर विशेष रूप से युवा वर्ग में चिंताएं बनी हुई हैं. एंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 यह भी इंगित करती है कि श्रम बाजार में हालिया सुधार ऐसे समय में दर्ज हुए हैं जब आर्थिक चुनौतियां बनी हुई थीं, जिससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ये नौकरियां दीर्घकालिक और स्थिर होंगी.

रेलवे ग्रुप D भर्ती में उमड़ी अभूतपूर्व भीड़ भारत में सरकारी नौकरियों की अत्यधिक मांग को दर्शाती है. इस अभियान के आंकड़े न केवल युवाओं की नौकरी की लालसा को उजागर करते हैं, बल्कि रोज़गार की गुणवत्ता, आर्थिक स्थिरता और नीति सुधारों की आवश्यकता को भी सामने लाते हैं.

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