लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती पर हमला करते हुए कहा कि दोनों आराम पसंद नेता हैं और अपने घर में बैठकर ट्विटर पर राजनीति करते हैं. प्रियंका, जो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का चेहरा हैं, ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ‘यूपी के भैया’ वाली टिप्पणी पर उपजे विवाद को लेकर अपनी सफाई भी पेश की.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार दौरान उन्होंने News18 से बातचीत की. उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा उन पर व्यक्तिगत हमलों से लेकर पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं जैसे प्रमुख मुद्दों पर पूछे गए सवालों के विस्तार से जवाब दिए. News18 के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा के इस एक्सक्ल्युसिव इंटरव्यू के प्रमुख अंश आप नीचे पढ़ सकते हैं…
पंजाब, उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्यों जहां कांग्रेस के जीतने की संभावना अधिक है, आप उत्तर प्रदेश पर ज्यादा ध्यान केंद्रित की हुई हैं. ऐसा क्यों?
क्यों नहीं? आखिर मैं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की प्रभारी हूं. मैं यहां पिछले तीन साल से लगातार काम कर रही हूं. हमने लोगों के वास्तविक मुद्दों पर बात की है. उन्होंने कई अत्याचार सहे हैं. यहां के नेता महंगाई और अपराध जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात नहीं करते. अब चुनाव का समय है, इसलिए हम ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. लेकिन हमारा आधार हमारे मुद्दे हैं, लोगों की लड़ाई है. कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर जनता के मुद्दों की लड़ाई लड़ रहे हैं.
लोग कह रहे हैं कि यूपी में मुकाबला द्विपक्षीय (भाजपा और सपा के बीच) है. लेकिन, क्या आप अन्य राज्यों के बारे में आश्वस्त हैं?
हम सभी राज्यों को लेकर आश्वस्त हैं. लेकिन पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में हम अधिक आश्वस्त हैं. पंजाब में (मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह) चन्नी जी ने अभूतपूर्व काम किया है. हम गोवा में भी सरकार बनाएंगे.
क्या आप यूपी को लेकर भी आश्वस्त हैं?देखिए, अन्य राजनीतिक दलों ने यूपी चुनाव को धर्म और जाति तक सीमित रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. ध्रुवीकरण कभी लोगों की मदद नहीं कर सकता. हम अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं. जहां तक यूपी चुनाव के द्विपक्षीय होने की बात है तो नतीजे आने के बाद और स्पष्टता आएगी. लेकिन, सच्चाई यह है कि लोग धीरे-धीरे इस तरह की ध्रुवीकरण की राजनीति से तंग आ चुके हैं. लोग समझते हैं कि इस तरह की राजनीति से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा.
आप अपने भाषणों में महंगाई और बेरोजगारी की बात करती हैं. क्या आपको लगता है कि आपने इस चुनाव के लिए एक नया नरेटिव तैयार किया है?आप बेहतर बता सकते हैं कि क्या हमने अन्य दलों को लोगों के वास्तविक मुद्दों पर बात करने के लिए मजबूर किया है या नहीं? लेकिन, हां, मुझे लगता है कि धीरे-धीरे दूसरे लोग भी युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं और किसानों के मुद्दों पर बात करने के लिए मजबूर हुए हैं. लोगों को सशक्त बनाने पर बहस होनी चाहिए. उन्हें चंद किलो राशन देने का क्या फायदा? हम महिला सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, बेहतर शिक्षा की बात कर रहे हैं. मैंने नोटिस किया है कि बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) और एसपी (समाजवादी पार्टी) भी दोपहिया वाहन और स्मार्टफोन देने का वादा कर रहे हैं. यह अच्छा है.
क्या आप कह रही हैं कि आपने चुनाव के लिए पिच तैयार कर दी है? लेकिन सच्चाई यह है कि आपकी पार्टी को दौड़ में नहीं देखा जा रहा है, फिर भी आप प्रतिद्वंद्वी दलों के निशाने पर क्यों हैं? हाल ही में ‘यूपी के भैया’ (पंजाब सीएम चन्नी की टिप्पणी) के मुद्दे पर आप पर हमले हो रहे थे.चन्नी जी थोड़ा ज्यादा उत्तेजित और उत्साहित थे. वह मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और आप नेताओं के संदर्भ में बात कर रहे थे. वे मुझ पर व्यक्तिगत रूप से हमला करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मैं पिछले तीन साल से यूपी में लड़ रही हूं. जब उनके पास कोई राजनीतिक हमला नहीं बचा, तो वे व्यक्तिगत हमले करते हैं.
पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों ने आप पर हमला बोला है.उन्हें करने दो. मैं व्यक्तिगत हमले नहीं करती. लेकिन, जब आपके (भाजपा) मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचला, तो क्या यह यूपी का अपमान नहीं है? दलित लड़की के साथ बलात्कार और उसकी हत्या, क्या यह यूपी के लोगों का अपमान नहीं है? बेरोजगार युवकों पर लाठीचार्ज यूपी का अपमान है.
क्या उत्तर प्रदेश का यह चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल है?यह मीडिया का नेरेटिव है. हर चुनाव अपने आप में महत्वपूर्ण होता है.
यदि आप इसे 2024 के सेमीफाइनल के रूप में नहीं भी देखती हैं, तो क्या यह चुनाव यूपी में आपकी भविष्य की योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण नहीं है?यूपी में कांग्रेस की कहानी यह है कि लंबे समय के बाद हम सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. अब हमारे पास एक मजबूत संगठन है. पिछले तीन वर्षों में हमारे करीब 19,000 कार्यकर्ता जनता के मुद्दे उठाते हुए जेल जा चुके हैं. हमने मजबूत संगठन बनाकर लोगों के मुद्दों को उठाया है. हमारी कहानी एक लंबी अवधि की कहानी है और यह इस चुनाव में भी परिणाम दिखाएगी.
(पश्चिम बंगाल की सीएम) ममता बनर्जी हाल ही में यूपी में सपा के लिए वोट मांग रही थीं. देश में एक तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की भी जा रही है, जो कांग्रेस के खिलाफ भी होगी. क्या अखिलेश (यादव) आपसे डरते हैं?अखिलेश सालों से कहीं नहीं दिखे. चुनाव के कुछ महीने पहले ही वह दिखने शुरू हुए हैं. घर बैठकर ट्वीट के जरिए राजनीति नहीं की जा सकती. मायावती भी यही करती हैं. यह तंत्र आपकी राजनीति को ज्यादा दिन तक टिका कर नहीं रख सकता…तो कोई बढ़ेगा. यह कांग्रेस भी हो सकती है.
तो क्या आप कह रही हैं कि अखिलेश और मायावती ड्रॉइंग रूम की राजनीति में कर रहे हैं?हां. पिछले कुछ सालों में कहां थे ये दोनों नेता? जब हाथरस में दलित लड़की के साथ बलात्कार हुआ और उसकी हत्या की गई थी या जब किसानों को कारों के नीचे कुचल दिया गया था, तब अखिलेश और मायावती कहां थे?
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