धर्मनगरी प्रयागराज सिर्फ अपने प्राचीन और धार्मिक मंदिरों,स्थानों के चलते ही प्रचलित नहीं है बल्कि यहां अनेकों ऐतिहासिक इमारत भी मौजूद हैं जो इस शहर के इतिहास को संजोय हुए है.इनमें से कुछ इमारतों ने आज तक अपना वजूद बचाए रखा है और कुछ वक्त के साथ जर्जर हो गई और उनका अस्तित्व खत्म हो गया.प्रयागराज के सबसे पुराने बाजार चौक में स्थित है लगभग 100 साल पुराना (clocktower) घंटाघर. 50 फीट ऊंची यह इमारत बाजार के बीचो-बीच खड़ी है और एक सदी से यहां की बदलती तस्वीर को लगातार अपने में समा रही है.इस घंटाघर ने शहर की गुलामी का दौर, आजादी का संघर्ष, स्वतंत्रता का सूरज और विकसित होता शहर देखा है.घंटाघर ब्रिटिश काल में सर स्विंटन जैकब द्वारा डिजाइन किया गया था.आपको बता दें कि लखनऊ के बाद यह प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना घंटाघर है जिसे 1913 मे बनाया गया.
2007 में घंटाघर का कायाकल्प हुआघंटाघर के चारों तरफ चार घड़ियां लगी हैं जो पहले पूरे शहर को वक्त बताया करती थी. व्यापारियों का यह बाजार घंटे से सजग हो जाता था, लेकिन वक्त के थपेड़ों इस पर भी पड़ते गए और धीरे-धीरे इमारत जर्जर होती गई .30 सालों से इसकी घड़ी बंद पड़ी थी परंतु 2007 में इस इमारत का नवीनीकरण किया गया.घंटाघर को खूबसूरत तो बना दिया गया लेकिन आज भी पटरी दुकानदारों का यहां पर अतिक्रमण है.चारों तरफ पटरी दुकानदारों के अतिक्रमण की वजह से यह आज आम लोगों की नजरों से ओझल रहती है.रोमन शैली पर बनी यह इमारत बेहद खूबसूरत हुआ करती थी.लेकिन आज इसकी खूबसूरती लोगों को इतना नहीं आकर्षित करती है.जैसे कभी एक दौर में किया करती थी.लेकिन शायद आज की पीढ़ी को इस बात का ही सुकून है कि अंतिम ही सही लेकिन यह इमारत सांसे तो ले ही रही है.( रिपोर्ट- प्राची शर्मा)
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