रिपोर्ट: हरीकांत शर्मा
आगरा. किसी भी देश की तरक्की में शिक्षा का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन अच्छी शिक्षा मिलना आज भी कई बच्चों के नसीब में नहीं है. खासकर ऐसे वर्ग के बच्चों के लिए जिनकी आर्थिक स्थिति आज भी खराब है. रह बची कसर कोरोना वायरस की महामारी के आने से पूरी हो गयी थी. हालात ऐसे थे कि बच्चों की पढ़ाई तक के लिए लोगों के पास पैसे नहीं थे और इसी समस्या ने ‘गुल्लक मैनेजमेंट’ (Piggy Management) को जन्म दिया. अब आप सोच रहे होंगे कि ये गुल्लक मैनेजमेंट क्या है ?
आगरा के खंदारी में स्थित श्री राम कृष्ण इंटर कॉलेज में गुल्लक मैनेजमेंट की शुरुआत हुई है. स्कूल के प्रिंसिपल ने स्टाफ और बच्चों के साथ मिलकर कई सारे गुल्लक खरीदे हैं. उन पर नंबर डाले हैं और उन नंबरों से ऐसे बच्चों को जोड़ा गया है, जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, जो अपनी फीस का खर्चा नहीं उठा पाते हैं. ऐसे बच्चों के लिये स्कूल के बच्चे, आने वाले लोग और टीचर थोड़ा थोड़ा पैसा इन गुल्लक में एकत्रित करते हैं. जरूरत पड़ने पर बच्चे के नाम की गुल्लक को गुप्त तरीके से तोड़ा जाता है और उस गरीब छात्र की आर्थिक रूप से मदद की जाती है.
ऐसे हुई ‘गुल्लक मैनेजमेंट’ की शुरुआतजैसे ही देश में कोरोना (COVID-19) ने दस्तक दी. देश की स्थितियां बदली और लॉकडाउन लगा तो लोगों के काम धंधे प्रभावित हुए. सबसे ज्यादा दिक्कत दिहाड़ी कामगारों को हुई, जिसमें रेहड़ी, धकेली और ठेला लगाने वाले मजदूर शामिल हैं. उनके बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पा रहे थे, क्योंकि उनके पास फीस भरने तक को रुपये नहीं थे. इसी समस्या को देखकर कॉलेज के प्रिंसिपल सोमदेव सारस्वत को विचार आया कि क्यों ना गरीब बच्चों की मदद समाज से ही की जाए. 2 साल पहले 2020 में इस गुल्लक मैनेजमेंट की शुरुआत हुई.
अब तक 90 बच्चों की हो चुकी है मददस्कूल के प्रिंसिपल सोमदेव सारस्वत बताते हैं कि पहले शुरुआत 10 गुल्लक से हुई थी. धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया. 2 साल में अब तक 90 ऐसे बच्चों की मदद की जा चुकी है जिनके पास फीस भरने, किताब खरीदने और ड्रेस खरीदने तक के लिए रुपए नहीं थे. लोग भी अब धीरे-धीरे मदद को आगे आ रहे हैं. जिसकी वजह से जो बच्चे शिक्षा से वंचित रहने वाले थे, वह अब स्कूल आ रहे हैं. सबसे पहले यह गुल्लक ऐसे परिवार के लिए तोड़ी गई थी जिनका काम मजदूरी करने का था और लॉकडाउन में उनका काम धंधा बंद हो गया था.
कैसे काम करता है गुल्लक सिस्टम?वर्तमान में स्कूल में 18 गुल्लक मौजूद हैं जो एक टेबल पर रखे रहते हैं. इन गुल्लक पर अलग-अलग नंबर डाले हुए हैं. उन नंबरों से स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को जोड़ा गया है जिनके आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. किस गुल्लक से किस छात्र को जोड़ा गया है? यह केवल स्कूल के प्रधानाचार्य को ही पता है. एक महीने के अंदर छात्रों की जरूरतों के हिसाब से गुल्लक को बंद कमरे में तोड़ा जाता है. बच्चों का स्वाभिमान जिंदा रहे इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है. गुल्लक से निकले पैसों से बच्चों की हर महीने की फीस भरी जाती है. अगर अतिरिक्त रुपए निकलते हैं तो उनसे बच्चों की किताबें, ड्रेस और अन्य खर्चे पूरे किए जाते हैं.
लोग भी बढ़-चढ़कर कर रहे हैं मदददेखने में गुल्लक मैनेजमेंट सिस्टम बेहद छोटा नजर आता है, लेकिन इसका असर बड़ा है. धीरे-धीरे लोग इससे जुड़ते जा रहे हैं और इस पहल की खूब चर्चाएं हो रही हैं. अब स्कूल में आने वाले पैरेंट्स, स्टाफ यहां तक कि छोटे बच्चे ,फोर्थ क्लास के कर्मचारी भी इस मुहिम से जुड़कर गुल्लक में पैसा डालते हैं, जिससे छात्रों की मदद होती है. इसके साथ ही अब दूसरे स्कूलों भी इस सिस्टम को लागू करने की योजना पर विचार किया जा रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Agra news, Corona epidemic, Lockdown, Positive StoryFIRST PUBLISHED : July 20, 2022, 18:57 IST
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