Positive Story: 10 साल पहले मेरठ मेडिकल कॉलेज के नाम की थी अपने शरीर की वसीयत, बच्‍चों ने पूरी की अंतिम इच्‍छा

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Positive Story: 10 साल पहले मेरठ मेडिकल कॉलेज के नाम की थी अपने शरीर की वसीयत, बच्‍चों ने पूरी की अंतिम इच्‍छा



मेरठ. यूपी के मेरठ में एक 90 वर्षीय बुर्जुग की मौत मिसाल बन गई. दरअसल बुर्जुग ने दस साल पहले देहदान का संकल्प लिया था. वहीं, निधन के बाद उनके बच्चों ने उनका शरीर मेरठ मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया. वहीं, रोते रोते बुर्जुग के परिजनों ने कहा कि उनकी अंतिम इच्छा पूरी हो गई. जबकि मेरठ मेडिकल कॉलेज की तरफ ने इस नेक काम के लिए बुर्जुग के परिजनों का शुक्रिया अदा किया है.
ये कहानी मेरठ के 90 वर्षीय बुर्जुग हरि भगवान रस्तोगी की है, जो कि समाजसेवी के रूप में शहर में पहचान रखते थे. उन्‍होंने 10 पहले देहदान का संकल्‍प लिया था. वहीं, उनके निधन के बाद उनका शव परिजनों ने शरीर रचना विभाग लाला लाजपतराय स्मारक मेडिकल कॉलेज मेरठ को सौंप दिया है.
मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी ने कही ये बात मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ. वीडी पाण्डेय ने बताया कि हरि भगवान रस्तोगी मेरठ के शास्त्री नगर के निवासी थे. उनके परिवार में उनके तीन बेटे और एक बेटी है. करीब 10 साल पहले 2012 में उन्‍होंने अपने शरीर की वसीयत मेडिकल कालेज मेरठ के नाम कर दी थी और अपने देहदान का संकल्प लिया था. इसके साथ अपने परिजनों से वचन लिया था कि उनकी मृत्यु के बाद मृत शरीर मेडिकल कॉलेज मेरठ को दान कर दिया जाएगा. इस बीच गुरुवार को उनकी मृत्यु हो गयी. उनके बड़े बेटे ने मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग की कार्यवाहक विभागाध्यक्ष डॉ. अंतिमा गुप्ता से सम्पर्क किया और उनका शरीर मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया. हरि भगवान के परिवार जनों ने बताया कि वो एक नेक दिल इंसान और एक कर्मठ समाजिक कार्यकर्ता थे.
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने कहा कि हरि भगवान के परिवारजनों ने समाज में व्याप्त अन्तिम संस्कार रूपी रूढ़िवादिता को छोड़कर उनकी अंतिम इच्छा को पूरा कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा कि देहदान महादान होता है. पूरा मेडिकल कॉलेज मेरठ उनके इस पुनीत पावन कार्य के लिए सदा आभारी रहेगा. प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि वो स्वयं नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. प्रिंसिपल ने सभी से निवेदन किया कि लोग अधिक से अधिक संख्या में नेत्रदान एवं देह करें. उन्होंने कहा कि जितनी संख्या में भारत में मृत्यु होती हैं. यदि उसका शत प्रतिशत नेत्र दान कर दिया जाय तो कार्निया सम्बंधित अंधता 15 दिनों में पूरे देश से समाप्त हो सकती है. उन्होंने कहा कि नेत्र दान तथा देह दान की बराबरी दुनिया के किसी धन दौलत से नहीं की जा सकती. यह दान अमूल्य है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Meerut news today, Positive StoryFIRST PUBLISHED : June 17, 2022, 17:18 IST



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