PM Modi making Buddhist circuit Kushinagar Purvanchal center of attraction tourists all world nodelsp

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कुशीनगर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) 20 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर Kushinagar में होंगे. पीएम मोदी कुशीनगर में एक नए ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (Greenfield International Airport) का उद्घाटन करेंगे. पीएम मोदी एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद महापरिनिर्वाण मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, फिर दोपहर एक बजे के बाद कुशीनगर में ही विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे. कुशीनगर बौद्ध सर्किट के तहत आता है और ये एयरपोर्ट महात्मा बुद्ध के जीवन के चार प्रमुख पड़ावों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण केन्द्र बनेगा. कुशीनगर तक की सीधी विमान सेवा आस पास के सभी बौद्ध तीर्थस्थलों तक पहुंचने की राह आसान बनाएगी.
आपको बता दें कि कुशीनगर एक अत्यंत महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल है जो गोरखपूर से सिर्फ 50 किमी दूर है. केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 2008 में इस हवाई अड्डे की योजना बनाई और 2010 में यूपी सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें कुशीनगर में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने की योजना को मंजूरी मिली. 2019 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सरकार के साथ करार कर मौजूदा एयरपोर्ट को विकसित करने का काम अपने हाथों में ले लिया. साथ ही यूपी सरकार ने 588 एकड़ जमीन भी मुफ्त दे दी, ताकि इस एयरपोर्ट का विकास हो सके. केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने 24 जून, 2020 को कुशीनगर एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने की मंजूरी भी दे दी. अब उड़ान योजना के तहत कुछ एयरलाइंसों को लखनऊ, गया, कानपूर, वाराणसी, प्रयागराज, हिंडन, बरेली और सहारनपुर से कुशीनगर तक की उड़ान को मंजूरी दे दी गई है.
कुशीनगर एयरपोर्ट के चालू होने से इस बौद्ध सर्किट के सांस्कृतिक विकास में मदद मिलेगी. इससे न सिर्फ स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि इस बौद्ध सर्किट में रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे और आर्थिक विकास भी जोर पकड़ेगा. इस एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद कुशीनगर को एक बड़े बौद्ध स्थल के रूप में दुनिया भर में देखा जाने लगेगा. साथ ही बौद्ध थीम पर आधारित इस सर्किट का सर्वागींण विकास भी होगा. साथ ही भगवान बुद्ध और उनका शांति संदेश देश की जनता तक भी पहुंचेगा. सरकार का मानना है कि विचारों और मुल्यों को विचारों का आदान प्रदान एक भारत श्रेष्ट भारत थीम को आगे बढाने में मदद करेगा.
दरअसल, ये बौद्ध सर्किट एक ऐसा रूट है जिसपर भगवान बुद्ध नेपाल के लुम्बिनी इलाके में उनके जन्म के साथ शुरु हुए सफर को दर्शाता है. उसके बाद वह बिहार के बोध गया पहुंचे जहां उन्हें निर्वाण की प्राप्ति हुई. उसके बाद सारनाथ जहां उन्होंने अपने शिष्यों के पहला ज्ञान दिया और अंत में कुशीनगर जहां उनकी मृत्यु हुई जिसे महापरिनिर्वाण के रुप में जाना जाता है. कुशीनगर में तीन प्रमुख बौद्ध स्थल है. पहला है भगवान बुद्ध का परिनिर्वाण स्थल जहां एक परिनिर्वाण मंदिर बना, दूसरा इस मंदिर के पीछे बना स्तूप है, जिसे परिनिर्वाण स्तूप के रुप में जाना जाता है. तीसरा स्थल है रामभर स्तूप जहां भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार हुआ. चौथा है मठकौर, जहां से भगवान बुद्ध के अवशेष 8 राजाओं में बांटे गए थे. इन सबके अलावा दूसरे कई मंदिर कुशीनगर में बने हैं. इनमें महत्वपूर्ण हैं वाट थाई मंदिर, चीनी मंदिर, बुद्ध मंदिर, जापानी मंदिर जिसे देखने पर्यटक दूर दूर से आते रहते हैं. जाहिर है इस उद्घाटन से एयर कनेक्टिविटी में ऐसा सुधार होगा जिससे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पर्यटकों को सीधा कुशीनगर पहुंचने में आसानी होगी.
बौद्ध धर्म एशिया में मौर्य काल में सम्राट अशोक के शासन काल में फैला. इतिहासकारों की मानें तो अशोक ने अपने पूरे सम्राज्य में 84000 स्तूप, पिलर और रॉक एडिक्ट लगवाए. ये तमाम इतिहास की अमुल्य धरोहर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और श्रीलंका तक में पाए गए हैं. अब इनमें से सिर्फ 20 बचे हैं जो सीधे खड़े हैं और हमें अपनी अमूल्य विरासत की याद दिला रहे हैं. सम्राट अशोक की इतिहास में पहचान यही रही है कि बुद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही. बौद्ध धर्म को एशिया में फैलाने के लिए सिल्क रूट और स्पाइस रूट जो दुनिया के सबसे पुराने ट्रेडिंग रुट हैं का सहारा लिया और बौद्ध धर्म को चीन और फारस तक पहुंचा दिया.
बौद्ध सर्किट में इन चार स्थानों के साथ साथ इनसे जुड़े कई ऐसे स्थान हैं जो बौद्ध तीर्थ के रूप में इससे जुड़े हुए हैं. बिहार का वैशाली जिला भई बौद्ध धर्म से जुड़ा एक महत्वपूर्ण केन्द्र है. यहां भगवान बुद्ध ने अपना आखिरी ज्ञान अपने शिष्यों में बांटा था. साथ ही दूसरी बौद्ध काउंसिल भी इसी वैशाली में ही हुई. इसके बाद बिहार के राजगीर का नाम आता है जो ऐतिहासिक नालंदा से सिर्फ 19 किमी दूर है. नालंदा बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण प्रचीन शिक्षा केन्द्र था. सबको मिला कर एक बड़े बौद्ध सर्किट की कल्पना की गई है जिसे अंतिम रुप देने का काम पीएम मोदी कर रहे हैं. पीएम मोदी जानते हैं कि इस सर्किट के विकास से पूरे पूर्वांचल में विकास का काम होगा. क्योंकि देशी विदेशी पर्यटकों का आना ही पूरे इलाके की अर्थव्यवस्था को बदल देगा.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.



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