अभिषेक जायसवाल/वाराणसी. पितरों को प्रसन्न करने का खास दिन आने वाला है. हिंदू पंचाग के भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होने वाली है. पितृ पक्ष का समय पितरों के लिए समर्पित होता है. इन 15 दिनों में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का विधान है. इस वर्ष 29 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्ट को दूर करते हैं.
उत्तर प्रदेश के काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है. इसका समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है. लोक मान्यता है कि पितृपत्र के दौरान पितर अपने परिवारजनों से मिलने धरती लोक पर आते हैं.
पितरों को प्रसन्न करने के लिए 15 दिन खास
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 15 दिन के इस तिथि में श्राद्ध और पिंडदान से मृत व्यक्ति के आत्मा को शांति मिलती है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जिस तिथि पितर की मृत्यु हुई हो पितृपक्ष के उसी तिथि में उनका पिंडदान और श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा करने से मृतक आत्मा को शांति मिलती है और पितरों की कृपा भी सदैव बनी रही हैं.
जिन लोगों को अपने पितरों के मृत की तिथि नहीं पता होती उन्हें अमावस्या तिथि पर उनका पिंडदान और श्राद्ध करना चाहिए. पंचाग के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि 14 अक्टूबर है.
पितृ पक्ष पर इन चीजों का नहीं करें सेवन
पितृ पक्ष के 15 दिनों में भूल कर भी शराब, मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा, इस अवधि में लहसुन और प्याज सेवन नहीं करना भी बेहद श्रेष्ठ होता है.
(नोट: यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित है. न्यूज़ 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है)
.Tags: Banaras news, Local18, Pitru Paksha, Religion 18, Up news in hindi, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : September 03, 2023, 12:40 IST
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