कृष्ण गोपाल द्विवेदी/बस्तीः मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है… इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है बस्ती के एक मजदूर के बेटे बौद्धमणि गौतम ने, जो अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में वैज्ञानिक बन गए हैं.
बेटे की इस सफलता पर उनके माता-पिता काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. इसरो में वैज्ञानिक बनने के बाद जब बौद्धमणि अपने घर पहुंचे तो गांववालों के साथ ही उनके मां बाप के आंखों से खुशी की आंसू झलक पड़े और सभी ने बौद्धमणि की इस कामयाबी पर उनकी जमकर सराहना भी की.
सरकारी स्कूल में की पढ़ाई बस्ती के दुबौलिया ब्लॉक के तराई क्षेत्र स्थित भकरही गांव निवासी बौद्धमणि के पिता राजगीर मिस्त्री तो मां मनरेगा में मजदूर हैं. इनके परिवार की माली हालत बेहद खराब है. बौद्धमणि ने एक से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई गांव के ही समीप स्थित श्रीराम सुमेर सिंह कृषक इंटर कॉलेज से की. सरकारी स्कूल से इसरो तक का सफर बेहद कठिन परिस्थितियों में तय किया है.
ऐसे बने ISRO में साइंटिस्टबताया कि गाजियाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया, फिर बांदा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की. लखनऊ में रहकर प्रतियोगिता की तैयारी में जुट गए. 2019 में इसरो का फॉर्म भरा, जिसका एग्जाम अभी हुआ. ऑनलाइन माध्यम से हुए इस एग्जाम में बौद्धमणि सेलेक्ट हो गए. बौद्धमणि ने जिस मुकाम को हासिल किया है, वह ग्रामीण अंचल के दूसरे स्टूडेंट्स के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है.
मां-बाप ने मजदूरी करके पढ़ायाबौद्धमणि ने बताया कि उनके परिवार की माली हालत काफी खराब है. एग्जाम सेंटर बाहर होने पर वह पैसे की वजह से एग्जाम देने नहीं जा पाते थे. इस एग्जाम का सेंटर लखनऊ में ही ऑनलाइन माध्यम से हुआ था और उन्होंने पहली बार एग्जाम दिया था. जिसमें उनको सफलता हासिल हुई है. इसका सारा श्रेय मेरे मम्मी-पापा को जाता है. उनकी पढ़ाई पूरी कराने के लिए उनके परिवार ने भी काफी संघर्ष किया है. उनके माता-पिता ने मजदूरी करके बौद्धमणि को पढ़ाया-लिखाया.
.Tags: Basti news, ISRO, Local18, Scientist, Success StoryFIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 21:59 IST
Source link