पीलीभीत. पीलीभीत समेत तराई के तमाम जिलों में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष एक बड़ी समस्या है. बीते कुछ सालों में पीलीभीत में दर्जनों ग्रामीणों ने बाघ के हमले में अपनी जान भी गंवाई है. काफी समय से बाघ के हमले में मृत ग्रामीणों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे को बढ़ाने की मांग उठाई जा रही थी. हाल ही में वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने इस मामले में बड़ा ऐलान किया है.उत्तर प्रदेश का पीलीभीत टाइगर रिजर्व बेशक देश-दुनिया में फेमस हो लेकिन इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता कि बीते कुछ सालों में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष ज़िले की बड़ी समस्या के रूप में उभरा है. वहीं अगर पड़ोसी ज़िले लखीमपुर खीरी और बहराइच की बात करें तो वह भी इस समस्या ने विकराल रूप ले रखा है. अगर साल 2023-24 की बात करें तो पीलीभीत में 13 ग्रामीण बाघ के हमले में मारे जा चुके हैं. वहीं कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें साक्ष्यों अभाव में बाघ के हमले की पुष्टि नहीं हुई.क्या है तराई के लोगों की मांग?बाघ के हमले में मारे जाने वाले ग्रामीणों के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है. अधिकांश मामले ऐसे होते हैं जिसमें परिवार का भरण पोषण करने वाले की ही मृत्यु हो जाती है. ऐसे में मृतकों के परिवार के आगे बढ़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है. यही कारण है कि लंबे अरसे से इस मुआवज़े को बढ़ाकर महाराष्ट्र की तरह 25 लाख रुपए करने की मांग की जा रही है.डॉ. अमिताभ अग्निहोत्री ने उठाया मुद्दाहाल ही में वन्यजीव सप्ताह के कार्यक्रम में शामिल होने आए प्रदेश के वन राज्य मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना के सामने वाइल्ड लाइफ बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन सोसायटी के उपाध्यक्ष डॉ. अमिताभ अग्निहोत्री ने इस मामले को उठाया. जिस पर अपनी सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने पेश करने का ऐलान किया.FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 19:40 IST