रिपोर्ट : सृजित अवस्थी
पीलीभीत. लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर पराली जलाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है. लेकिन उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में प्रशासन की लगातार रोकथाम के बाद भी पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि पराली जलाने से पर्यावरण के साथ खेतों पर भी खासा दुष्प्रभाव पड़ता है. पराली जलाने के बुरे नतीजों और पराली मैनेजमेंट पर News18 Local ने एक्सपर्ट से बात की है. उनकी सलाह और कई सुझाव खेतों और पर्यावरण के लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं.
पीलीभीत के उप कृषि निर्देशक देवेंद्र सिंह ने बताया कि पराली जलाने के तमाम दुष्प्रभाव होते हैं. सबसे बड़ा प्रभाव तो यह है कि इससे खेतों की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. पराली जलाने से खेतों में मौजूद तमाम खनिज व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं. जिसके चलते किसानों को खेतों में अधिक खाद व केमिकल का प्रयोग करना पड़ता है.
ऐसे करें पराली मैनेजमेंट
फसल कटाई के लिए कंबाइन उपयोग करने वाले किसान कटाई के दौरान सुपर एक्स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करें. जिससे फसल की जमीन से 1 इंच ऊपर तक कटाई हो जाती है. जिसके बाद फसल की पराली खेतों में रह जाती है. जिसपर वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव कर उसे खेतों में ही गला दें. इसके अलावा किसान बेलर का उपयोग कर खेतों में पड़ी पराली के गट्ठर बना सकते हैं. इसके साथ ही पराली मैनेजमेंट व उससे जुड़े यंत्रों की अधिक जानकारी के लिए किसान पीलीभीत कलेक्ट्रेट स्थित कृषि भवन में संपर्क कर सकते हैं.
अब तक 77,000 रुपए बतौर जुर्माना आए
पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत के जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने बताया कि पराली को लेकर लगातार किसानों को गांव गांव जाकर जागरूक किया जा रहा है. लेकिन फिर भी पराली जलाने की कुछ घटनाएं सामने आई हैं. पराली जलाने वाले किसानों से अब तक लगभग 77,000 रुपए का जुर्माना भी वसूला जा चुका है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Air Pollution AQI Level, Pilibhit news, UP newsFIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 14:15 IST
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